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भारत और ब्रिटेन के बीच हुई FTA डील, जानें कृषि सेक्टर पर इसका क्या होगा असर
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भारत और ब्रिटेन के बीच हुई FTA डील, जानें कृषि सेक्टर पर इसका क्या होगा असर

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भारत-यूके मुक्त व्यापार समझौता (FTA) भारत की कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए काफी ऐतिहासिक फैसला माना जा रहा है. यह समझौते ड्यूटी फ्री एक्सेस, व्यवस्थित व्यापार प्रोटोकॉल और भारत की अनूठी कृषि विरासत के संरक्षण को ध्यान में रखकर किया गया है. इस समझौते से भारत के कृषि निर्यात, वैल्यू एडेड उत्पाद और ग्रामीण विकास को एक बड़ा मंच प्रदान होगा. 

आपको जानकारी होगी कि कृषि ग्रामीण भारत की आजीविका और आर्थिक सुरक्षा की आधारशिला है, इसलिए भारत और यूके के बीच मुक्त व्यापार समझौते में किसानों के हितों का विशेष ख्याल रखा गया है. मुक्त व्यापार समझौते से भारतीय कृषि उद्योग को स्थानीय से वैश्विक स्तर तक पहुंचने में मदद मिलेगी. 

प्रमुख फसलों पर अब टैरिफ खत्म

FTA से सबसे बड़ा फायदा भारतीय किसानों को मिलेगा, क्योंकि इनके उत्पाद अब प्रीमियम ब्रिटिश बाजार तक आसानी से पहुंच पाएंगे. कुछ प्रमुख फसलों पर अब टैरिफ खत्म किया गया है. लगभग 95% कृषि शुल्क लाइनों पर जीरो ड्यूटी फीस का प्रावधान किया गया है. 

खेती-किसानी के क्षेत्र से जुड़ी जिन भारतीय फसलों और वस्तुओं पर जीरो ड्यूटी का प्रावधान है, उससे भारतीय उत्पादों को यूके के मार्केट में लैंडिंग लागत में कमी आएगी और भारतीय किसानों की आय बढ़ेगी. गुणवत्ता, पैकेजिंग और प्रमाणन के लिए प्रोत्साहन बढ़ेगा और ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार बढ़ेंगे. जीरो ड्यूटी वाली फसलें और पदार्थों में हल्दी, काली मिर्च, इलायची, आम का गूदा, अचार, दालें, फल, सब्ज़ियां और अनाज, मसाला मिश्रण और खाने के लिए तैयार भोजन शामिल हैं.

FTA से बाहर होंगे ये 3 प्रोडक्ट

हालांकि भारत-यूके के मुक्त व्यापार समझौते में भारत के संवेदनशील उत्पादों के संरक्षण पर भी विशेष ध्यान दिया गया है. किसानों की जो मुख्य चिंताएं हैं, उन पर कोई समझौता नहीं किया गया है. यही कारण है कि कृषि क्षेत्र से जुड़े इन उत्पादों को FTA से बाहर रखा गया है, जिसमें डेयरी उत्पाद, सेब और ओट्स, खाद्य तेल को एफटीए से बाहर रखना भारत की सोची समझी व्यापार रणनीति को दिखाता है, जिसमें खाद्य सुरक्षा, घरेलू मूल्य स्थिरता और किसानों को प्राथमिकता का दृष्टिकोण नजर आता है. 

FTA से भारत के कृषि निर्यात को बहुत अधिक बढ़ावा मिलने की उम्मीद है. इस फैसले से अगले 3 सालों में कृषि निर्यात में 20 फीसदी से अधिक की बढ़ोतरी की संभावना है, जो साल 2030 तक भारत के 100 अरब डॉलर के कृषि निर्यात के लक्ष्य को हासिल करने में मददगार होगा. 

इन उत्पादों को यूके में मिलेगा नया बाजार 

यही नहीं, FTA में सर्टिफिकेशन को आसान बनाया गया है. ऐसा प्रावधान किया गया है, जिससे व्यापार में तकनीकी बाधाओं से संबंधित प्रमाणन सरल हो और निर्यातकों के समय व लागत में कमी आए. मुक्त व्यापार समझौते से भारतीय किसानों को कटहल, बाजरा, सब्जियों और जैविक जड़ी-बूटियों जैसे उभरते उत्पादों को यूके में नया बाजार मिलेगा, जिससे किसानों को सीधे तौर पर फायदा होगा. 

मुक्त व्यापार समझौते से भारत की ब्लू इकोनॉमी यानि तटीय समुदाय को बड़ा लाभ मिलेगा. भारत के मत्स्य पालन क्षेत्र को भी बड़ी मदद मिलने वाली है. मत्स्य सेक्टर के झींगा, टूना, मछली का भोजन और चारा उत्पादों पर टैरिफ को 4.2-8.5 फीसदी से घटाकर शून्य कर दिया है. ये उत्पाद पूरी तरह से शुल्क मुक्त हो जाएंगे, जिससे निर्यात में तेजी से वृद्धि होगी. इस फैसले से खासतौर पर आंध्र प्रदेश, ओडिशा, केरल और तमिलनाडु को फायदा मिलेगा. 

कृषि क्षेत्र को बड़ा बूस्ट

वैल्यू एडेड प्रोडेक्टस को भी मुक्त व्यापार समझौते से फायदा मिलेगा. भारत के अधिक मार्जिन वाले, ब्रांडेड निर्यात, कॉफी, मसालों और पेय पदार्थों की पहुंच यूके के बाजार तक और अधिक होगी. भारतीय उत्पादों कॉफी और इंस्टेंट कॉफी, चाय, मसाले पर जीरो टैरिफ का प्रावधान है, यानि ये कहा जा सकता है कि इस समझौते से भारत के कृषि क्षेत्र को बड़ा बूस्ट मिलने की संभावना है.

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