भारत के उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने इसके पीछे स्वास्थ कारणों का हवाला दिया है. हालांकि इसके इतर इस्तीफे के बाद कुछ और चर्चाएं भी तेज हो गई हैं. कांग्रेस के राज्यसभा सांसद जयराम रमेश के सोशल मीडिया पोस्ट किया था. उन्होंने अपने पोस्ट में लिखा था कि शाम करीब 5 बजे तक मैं उनके साथ था, वहां कई अन्य सांसद भी साथ थे और शाम 7:30 बजे मेरी उनसे फोन पर बातचीत भी हुई थी. राज्यसभा BAC की बैठक दोपहर 1 बजे की तय की गई थी और वो न्यायपालिका से संबंधित कुछ घोषणा भी करने वाले थे.
सोमवार (21 जुलाई 2025) को संसद के मानसून सत्र के दौरान राज्यसभा में विपक्षी दलों के 63 सांसदों ने जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग पर दस्तखत करके सभापति जगदीप धनखड़ को सौंप दिया था. जगदीप धनखड़ ने जस्टिस वर्मा के खिलाफ विपक्षी दलों का ये प्रस्ताव स्वीकार कर लिया, जबकि सरकार महाभियोग प्रस्ताव को लोकसभा में लेकर आना चाह रही थी. इसको लेकर पक्ष-विपक्ष के 145 सांसदों ने लोकसभा अध्यक्ष को हस्ताक्षर करके प्रस्ताव भी सौंप दिया, लेकिन अब जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद इस घटनाक्रम को उस महाभियोग प्रस्ताव से जोड़कर देख जा रहा है. कयास लगाए जा रहे हैं कि विपक्ष के प्रस्ताव को स्वीकार किए जाने की वजह से सरकार नाराज थी.
इस्तीफे के पीछे स्वास्थ कारणों का हवाला
कांग्रेस का कहना है कि सरकार की नाराजगी बढ़ने पर जगदीप धनखड़ ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया, लेकिन ये केवल चर्चा भर है, जबकि उन्होंने अपने इस्तीफे में स्पष्ट तौर पर स्वास्थ कारणों का हवाला दिया है. अब उनके इस्तीफे के बाद सियासी हलचल तेज हो गई है. इससे पहले भी कई दफा अपने बयानों को लेकर जगदीप धनखड़ चर्चा में रहे हैं. एक सार्वजनिक मंच पर उन्होंने किसानों के आंदोलन का मुद्दा उठा दिया था, तब उस वक्त मंच पर केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान भी मौजूद थे. उपराष्ट्रपति के तौर पर उनके उस बयान को विपक्ष ने जमकर मुद्दा बनाया था.
इ्स्तीफा देने वाले तीसरे उपराष्ट्रपति
भारत के इतिहास में अपना कार्यकाल पूरा होने से पहले इस्तीफा देने वाले वह तीसरे राष्ट्रपति हैं. इससे पहले वीवी गिरी और आर वेंकटरमन ने इस्तीफा दिया था, लेकिन उन्होंने राष्ट्रपति चुने जाने के बाद और शपथ लेने से पहले इस्तीफा दिया था. राष्ट्रपति जाकिर हुसैन के निधन के बाद वीवी गिरि को राष्ट्रपति बनाया गया और उन्होंने इस्तीफा दिया था. जबकि आर वेंकटरमन 1987 में भारत के राष्ट्रपति चुने गए और उस वक्त वह उपराष्ट्रपति थे तो उन्होंने शपथ ग्रहण से पहले इस्तीफा दिया था.
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