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‘जिस पर गर्व होना चाहिए, उस पर विवाद मत बनाओ’, वनतारा मामले पर सुनवाई में SC ने क्यों कहा ऐसा?
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‘जिस पर गर्व होना चाहिए, उस पर विवाद मत बनाओ’, वनतारा मामले पर सुनवाई में SC ने क्यों कहा ऐसा?

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गुजरात के जामनगर के वन्य पशु आश्रय स्थल ‘वनतारा’ के खिलाफ दाखिल याचिकाओं की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट ने बंद कर दी है. कोर्ट ने याचिका में लगाए गए आरोपों की पुष्टि के लिए अपने पूर्व जज जस्टिस जे चेलमेश्वर की अध्यक्षता में एक SIT बनाई थी. SIT की रिपोर्ट में सभी आरोपों को निराधार पाया गया.

जस्टिस पंकज मिथल और जस्टिस प्रसन्ना बी वराले की बेंच ने याचिकाकर्ताओं को नसीहत देते हुए कहा, ‘कुछ अच्छी चीजें भी होने दीजिए और उन पर खुशी व्यक्त कीजिए. हमारे देश में कई चीजें हैं, जिन पर हम गर्व कर सकते हैं. उन्हें व्यर्थ के विवादों में नहीं उलझाना चाहिए.’ इसके साथ ही जजों ने तेजी से रिपोर्ट देने के लिए SIT की सराहना की.

याचिका में लगाए गए आरोप
सी आर जयासुकिन और देव शर्मा नाम के 2 याचिकाकर्ताओं ने रिलायंस फाउंडेशन के इस आश्रय गृह को बनाने और चलाने में अनियमितता का दावा किया था. याचिकाकर्ता ने यह भी कहा था कि सरकारी तंत्र को प्रभावित कर ‘वनतारा’ में रखने के लिए वन्य पशुओं को जमा किया जा रहा है इसलिए, कोर्ट वनतारा के हाथियों को उनके मूल मालिक को सौंपने और बाकी पशुओं को जंगल मे छोड़ने का आदेश दे.

कमेटी का गठन
25 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट 4 सदस्यीय जांच कमेटी का गठन किया था. कमेटी के सदस्य थे :-

1. जस्टिस जे चेलमेश्वर, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज (अध्यक्ष)
2. जस्टिस राघवेंद्र चौहान, उत्तराखंड और तेलंगाना हाई कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस
3. हेमंत नगराले, मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर
4. अनीश गुप्ता, अतिरिक्त कमिश्नर, कस्टम्स

कोर्ट ने केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय, सेंट्रल जू ऑथोरिटी, गुजरात सरकार और वनतारा प्रबंधन समेत सभी संस्थाओं से SIT के साथ सहयोग करने को कहा था. सीबीआई, ईडी, कस्टम्स और डीआरआई को भी SIT को जरूरी सहायता देने का निर्देश दिया गया था.

SIT रिपोर्ट की खास बातें
कानूनों का पालन: वाइल्डलाइफ प्रोटेक्शन एक्ट 1972 या कस्टम्स एक्ट, 1962 जैसे कानूनों के उल्लंघन का कोई मामला सामने नहीं आया. 275 हाथियों समेत 40,633 पशुओं के अधिग्रहण में कोई अनियमितता नहीं हुई.
पशु कल्याण: SIT ने इस पहलू पर निष्पक्ष विशेषज्ञों की भी मदद ली. उन्होंने पाया कि वनतारा में उपलब्ध सुविधाएं कई मायनों में अंतर्राष्ट्रीय स्तर से भी बेहतर हैं.
जगह और मौसम: वनतारा के औद्योगिक क्षेत्र से नजदीक होने को लेकर जताई गई आशंका को भी SIT ने गलत बताया. रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया में कई प्रसिद्ध चिड़ियाघर औद्योगिक शहरों में हैं. इसके चलते कोई समस्या नहीं होती.
संरक्षण कार्यक्रम: SIT ने वनतारा को पशुओं का निजी संग्रह बताने के आरोप को भी गलत कहा है. रिपोर्ट में कहा गया है कि वहां एशियाई शेर, क्लाउडेड लेपर्ड, चीता जैसे कई दुर्लभ पशुओं की वंश वृद्धि का प्रयास किया जा रहा है. लगभग 3000 लोग और विस्तृत सुविधाओं के ज़रिए प्राणियों को संरक्षण दिया जा रहा है.
वित्तीय आरोप: SIT ने वनतारा पर वित्तीय अनियमितताओं के आरोप को निराधार कहा है. पानी के दुरुपयोग और कार्बन क्रेडिट की बिक्री जैसे आरोपों को भी तथ्यहीन कहा है.

कोर्ट का आदेश
रिपोर्ट को देखने के बाद कोर्ट ने कहा याचिकाकर्ता ने अपने आरोपों की पुष्टि के लिए तथ्य नहीं पेश किए थे. फिर भी कोर्ट ने उन आरोपों की पुष्टि एक निष्पक्ष कमेटी से करवाने का फैसला लिया. कोर्ट ने कई सवाल तय किए. सब का कमेटी ने विस्तार से जवाब दिया. अब भविष्य में इन सवालों को किसी तरह की कानूनी प्रक्रिया में दोबारा उठाने की अनुमति नहीं दी जाएगी.कोर्ट ने कहा है कि वह कमेटी की रिपोर्ट का सारांश सार्वजनिक कर रहा है. लेकिन विस्तृत रिपोर्ट को सीलबंद रखा जाएगा. उसकी कॉपी वनतारा को दी जाएगी. वनतारा रिपोर्ट को देखे और जहां सुधार की आवश्यकता हो, उसे करे.

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