केंद्र सरकार ने बुधवार (22 अक्टूबर, 2025) को आईटी रूल्स, 2025 (Information Technology Rules, 2025) में बड़ा बदलाव करने का मसौदा जारी किया है. इस मसौदे का सीधा असर उन सभी सोशल मीडिया यूजर्स पर पड़ेगा, जो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे फेसबुक, इंस्टाग्राम, एक्स, यूट्यूब या आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) कंटेंट बनाने वाले किसी भी ऐप या वेबसाइट का इस्तेमाल करते हैं
केंद्र सरकार ने IT रूल्स, 2021 में अब एक नया ‘Synthetically Generated Information’ शब्द जोड़ा है. यानी ऐसा कंटेंट जो AI या किसी सॉफ्टवेयर से इस तरह बनाया या बदला गया हो कि देखने-सुनने पर वह असली लगे.
सरकार ने नए मसौदा में तय किए ये नियम
सरकार ने आईटी रूल्स, 2025 में बदलाव करने के लिए जो मसौदा तैयार किया, उसमें कई तरह के नियम को भी विस्तार रूप से बताया है. जिसके तहत-
- अब कंपनियां या ऐप्स हर AI कंटेंट पर एक यूनिक लेबल या मेटाडेटा जोड़ेंगीं.
- यह लेबल या मार्क कम से कम 10 प्रतिशत स्क्रीन पर स्पष्ट रूप से दिखना चाहिए.
- ऑडियो कंटेंट में शुरुआत के कम से कम 10 प्रतिशत हिस्से में यह सुनाई देना चाहिए कि यह AI से बना है.
- इस लेबल को हटाना या बदलना प्लेटफॉर्म की अनुमति से बाहर होगा यानी हटाया नहीं जा सकेगा.
सरकार के नए नियमों से लोगों को क्या होगा फायदा?
केंद्र सरकार के इन नए नियमों का फायदा लोगों को जल्द ही दिखने लगेगा. लोगों को इंस्टाग्राम, यूट्यूब पर AI Generated टैग देखने को मिलेगा. डीपफेक (Deepfake) वीडियो देखकर भ्रमित होने की संभावना कम होगी. इससे नेताओं के फर्जी भाषण या किसी का झूठा MMS जैसी धोखाधड़ी की घटनाओं पर रोक लगेगी और AI से बनाई वीडियो और ऑडियो को असली समझकर किसी को गलतफहमी नहीं होगी.
इसके अलावा, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे फेसबुक, इंस्टाग्राम, एक्स और यूट्यूब आदि पर भी जिम्मेदारी तय होगी. अगर कोई बड़ी सोशल मीडिया कंपनी यूजर को कंटेंट पोस्ट करने देती है, तो उसे कंटेंट अपलोड करने से पहले यूजर से यह पूछना होगा कि “क्या यह कंटेंट AI से जनरेट किया गया है?”
इसके साथ प्लेटफॉर्म को खुद भी टेक्निकल तरीकों से चेक करना होगा कि कंटेंट असली है या Al-जेनरेटेड है. अगर कंटेंट AI-जेनरेटेड निकलता है, तो उसे स्पष्ट लेबल के साथ दिखाना जरूरी होगा. अगर प्लेटफॉर्म ने जानबूझकर ऐसे डीपफेक को बिना लेबल के फैलने दिया, तो इसे उनकी जिम्मेदारी में लापरवाही माना जाएगा. हालांकि, सरकार ने अभी इन नियमों को ड्राफ्ट के रूप में जारी किया है. इसे लागू करने से पहले सरकार देश की आम जनता और कंपनियों से उनके सुझाव मांगेगी.
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