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‘कमजोर वर्ग की स्थिति में सुधार लाने के लिए SC-ST कानून लाया गया’, SC ने क्यों कही यह बात
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‘कमजोर वर्ग की स्थिति में सुधार लाने के लिए SC-ST कानून लाया गया’, SC ने क्यों कही यह बात

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सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया है कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम को कमजोर वर्ग की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार लाने के उद्देश्य से लाया गया था और यह आरोपी को गिरफ्तारी से पूर्व जमानत देने पर रोक लगाता है.

मुख्य न्यायाधीश भूषण रामकृष्ण गवई, जस्टिस के. विनोद चंद्रन और जस्टिस एन. वी. अंजारिया की बेंच ने एक फैसले में यह टिप्पणी की. बेंच ने जातिगत अत्याचार के आरोपों का सामना कर रहे एक आरोपी को अग्रिम जमानत देने संबंधी बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश को खारिज कर दिया.

बेंच ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम की धारा 18 का हवाला दिया और कहा कि यह स्पष्ट रूप से दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 438 (अग्रिम जमानत प्रदान करना) को लागू नहीं करने का प्रावधान करता है. कोर्ट ने कहा, ‘धारा 18 के प्रावधान और उसके तहत निर्धारित किये गए प्रतिबंध को उस उद्देश्य और प्रयोजन के संदर्भ में देखा जाना चाहिए जिसके साथ संसद ने एससी/एसटी अधिनियम, 1989 को अधिनियमित किया था.’

बेंच ने कहा, ‘यह कानून अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार लाने के उपायों को लागू करने के उद्देश्य से लागू किया गया था.’ कोर्ट ने कहा, ‘अंतर्निहित विचार यह सुनिश्चित करना है कि इन वर्गों से संबंधित लोगों को उनके नागरिक अधिकारों से वंचित न किया जाए, उन्हें अपमान का सामना न करना पड़े और उन्हें अपमान और उत्पीड़न से बचाया जाए.’

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह एक सख्त प्रावधान प्रतीत होता है और यह सामाजिक न्याय प्राप्त करने और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदाय के लोगों के लिए समाज के अन्य वर्गों के समान ही बराबर का दर्जा सुनिश्चित करने के संवैधानिक विचार को रेखांकित करता है. बेंच ने शिकायतकर्ता किरण की ओर से हाईकोर्ट के 29 अप्रैल के आदेश के विरुद्ध दायर अपील को स्वीकार कर लिया.

धाराशिव जिले के परांदा पुलिस थाने में दर्ज एक प्राथमिकी के संबंध में, परांदा के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश की ओर से ऐसी राहत को अस्वीकार करने के बावजूद, हाईकोर्ट ने राजकुमार जीवराज जैन को गिरफ्तारी-पूर्व जमानत दे दी थी. शिकायत के अनुसार, 25 नवंबर 2024 को जैन और अन्य ने कथित तौर पर किरण के घर के बाहर उसके साथ बहस की और उसे और उसके परिवार को जातिसूचक गालियां दीं.



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