सुप्रीम कोर्ट ने नगरपालिका और पंचायत चुनाव में 67 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण पर हाई कोर्ट की रोक को हटाने से मना कर दिया है. तेलंगाना सरकार ने पिछड़े वर्ग का कोटा बढ़ा कर 42 प्रतिशत कर दिया था. इससे कुल आरक्षण 67 प्रतिशत हो गया था. हाई कोर्ट ने कुल आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से नीचे रखने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए राज्य सरकार के आदेश पर रोक लगा दी थी.
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस विक्रम नाथ की बेंच ने राज्य सरकार की याचिका ठुकराते हुए कहा कि कहा कि वह हाई कोर्ट में ही अपनी बात रखे. तेलंगाना की रेवंत रेड्डी सरकार को सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश बड़ा झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट ने पिछड़ा वर्ग (OBC) आरक्षण मामले में राज्य सरकार की याचिका को खारिज कर दिया है और उसे निर्देश दिया है कि वह स्थानीय निकायों के चुनाव पुरानी आरक्षण व्यवस्था के तहत ही कराए.
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का सीधा मतलब है कि तेलंगाना सरकार को चुनावों के लिए जारी किए गए 42 प्रतिशत पिछड़ा वर्ग आरक्षण को तुरंत वापस लेना होगा. अदालत ने स्पष्ट कहा है कि चुनाव प्रक्रिया को मौजूदा कानूनी दायरे और पुरानी आरक्षण नीति का पालन करते हुए ही पूरा किया जाना चाहिए.
तेलंगाना सरकार ने पिछड़ा वर्ग के आरक्षण को बढ़ाकर 42 प्रतिशत करने का फैसला किया था. हालांकि, तेलंगाना हाईकोर्ट ने इस फैसले पर रोक लगा दी थी. हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (SLP) दायर की थी, जिसे अब शीर्ष अदालत ने खारिज कर दिया है.
न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि राज्य सरकार बिना किसी वैधानिक संशोधन के आरक्षण की सीमा को एकतरफा तौर पर नहीं बढ़ा सकती. इस फैसले के बाद अब तेलंगाना सरकार के लिए निकाय चुनावों की घोषणा करने का रास्ता साफ हो गया है, लेकिन उसे पुरानी आरक्षण व्यवस्था का ही पालन करना होगा. यह फैसला राज्य की राजनीति पर अगले कुछ दिनों तक असर डालने वाला माना जा रहा है.


