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‘POCSO एक्ट का हो रहा दुरुपयोग, लड़कों को बताएं…’, वैवाहिक विवादों को लेकर SC ने जताई चिंता
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‘POCSO एक्ट का हो रहा दुरुपयोग, लड़कों को बताएं…’, वैवाहिक विवादों को लेकर SC ने जताई चिंता

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सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (4 नवंबर, 2025) को कहा कि वैवाहिक विवादों और किशोरों के बीच सहमति से बने संबंधों के मामलों में पॉक्सो (यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण) अधिनियम का दुरुपयोग किया जा रहा है. साथ ही कोर्ट ने लड़कों और पुरुषों में इन कानूनों के संबंध में जागरुकता फैलाने की जरूरत पर जोर दिया.

जस्टिस बी वी नागरत्ना और जस्टिस आर महादेवन की बेंच एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें बलात्कार के खिलाफ दंडात्मक प्रावधानों और पॉक्सो अधिनियम के बारे में लोगों को संवेदनशील बनाने के निर्देश देने का अनुरोध किया गया था ताकि देश को लड़कियों और महिलाओं के लिए एक बेहतर स्थान बनाया जा सके.

बेंच ने मौखिक रूप से कहा, ‘हम एक बात कहना चाहेंगे. वैवाहिक विवादों के और किशोरों के बीच सहमति से बने संबंधों से जुड़े मामलों में पॉक्सो अधिनियम का दुरुपयोग किया जा रहा है. हमें लड़कों और पुरुषों में कानूनी प्रावधानों के बारे में जागरुकता फैलानी चाहिए.’

सुप्रीम कोर्ट ने जनहित याचिका पर सुनवाई दो दिसंबर तक के लिए स्थगित कर दी और कहा कि कुछ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने इस मामले में जवाब दाखिल नहीं किया है. सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले सीनियर एडवोकेट आबाद हर्षद पोंडा की ओर से दायर याचिका पर केंद्र, केंद्रीय शिक्षा और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालयों और केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) को नोटिस जारी किए थे.

पोंडा ने कहा कि लोगों को बलात्कार से संबंधित कानूनों और निर्भया मामले के बाद ऐसे कानूनों में हुए बदलाव के बारे में जानकारी देने की जरूरत है. याचिका में कई कदम उठाने का अनुरोध किया गया है, जिसमें शिक्षा मंत्रालय को यह निर्देश देना भी शामिल है कि वह 14 साल तक की आयु के बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने वाले सभी शिक्षण संस्थानों को महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों से संबंधित दंडात्मक प्रावधानों के संबंध में जानकारी दें.

इसमें कहा गया है कि नैतिक प्रशिक्षण के विषय को भी शामिल किया जाना चाहिए ताकि लैंगिक समानता, महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों और गरिमा के साथ जीने की स्वतंत्रता के प्रति जागरुकता सुनिश्चित की जा सके.

इसके अनुसार सूचना और प्रसारण मंत्रालय, सीबीएफसी और अन्य प्रसारण प्राधिकरणों को समान दिशा-निर्देश दिए जाने चाहिए ताकि बलात्कार और उसकी सजा के प्रति जागरुकता बढ़ाई जा सके और पॉक्सो अधिनियम के बारे में जनता को शिक्षित किया जा सके.



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