DS NEWS | The News Times India | Breaking News
‘पैसों की वसूली के लिए अदालतें रिकवरी एजेंट की तरह काम नहीं कर सकतीं’, बोला सुप्रीम कोर्ट
India

‘पैसों की वसूली के लिए अदालतें रिकवरी एजेंट की तरह काम नहीं कर सकतीं’, बोला सुप्रीम कोर्ट

Advertisements



सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अदालतें वसूली (रिकवरी) एजेंट के रूप में कार्य नहीं कर सकतीं तथा उसने किसी विवाद में पक्षकारों द्वारा दीवानी विवादों को आपराधिक मामलों में बदल देने की प्रवृत्ति की निंदा की. जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ कहा कि बकाया राशि की वसूली के लिए गिरफ्तारी की धमकी का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है. यह हालिया प्रवृत्ति बन गई है कि पक्षकार धन की वसूली के लिए आपराधिक मामले दर्ज कराते हैं, जबकि यह पूरी तरह से दिवानी विवाद होता है.

सुप्रीम कोर्ट ने ये टिप्पणियां सोमवार (22 सितंबर, 2025) को उत्तर प्रदेश से जुड़े एक आपराधिक मामले में कीं, जहां धन की वसूली के विवाद में एक व्यक्ति पर अपहरण के आरोप लगाए गए थे. उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के. एम. नटराज ने कहा कि इस तरह की शिकायतों में वृद्धि हुई है. उन्होंने तर्क दिया कि ऐसे मामलों में पुलिस बीच में फंस जाती है क्योंकि यदि वह संज्ञेय अपराध का मामला होते हुए भी प्राथमिकी दर्ज नहीं करती तो अदालत उसे फटकार लगाती है, और यदि दर्ज करती है तो पक्षपात का आरोप लगाया जाता है और यह कहा जाता है कि पुलिस ने विधिक प्रक्रिया का पालन नहीं किया.

उन्होंने कहा कि आमतौर पर इन शिकायतों में धन की वसूली के विवाद को आपराधिक मामले का रूप दे दिया जाता है. जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि अदालत पुलिस की दुविधा को समझती है और यह भी उल्लेख किया कि यदि संज्ञेय अपराध के आरोप वाले मामलों में प्राथमिकी दर्ज नहीं की जाती तो पुलिस को उच्चतम न्यायालय के 2013 के ललिता कुमारी फैसले का पालन न करने के लिए फटकार लगाई जाती है.

पीठ ने पुलिस को सलाह दी कि किसी व्यक्ति की गिरफ्तारी से पहले वह अपने विवेक का इस्तेमाल करके यह देखे कि मामला दीवानी है या आपराधिक. अदालत ने कहा कि इस तरह आपराधिक कानून का दुरुपयोग न्यायिक प्रणाली के लिए गंभीर खतरा बन रहा है. जस्टिस सूर्यकांत ने टिप्पणी की, ‘अदालतें पक्षकारों के लिए बकाया राशि वसूलने के लिए रिकवरी एजेंट नहीं हैं. न्यायिक प्रणाली का इस प्रकार दुरुपयोग बर्दाश्त नहीं किया जा सकता.’

सुप्रीम कोर्ट ने नटराज को सुझाव दिया कि प्रत्येक जिले में एक नोडल अधिकारी नियुक्त किया जा सकता है, जो सेवानिवृत्त जिला न्यायाधीश हो. पुलिस ऐसे नोडल अधिकारी से परामर्श करके यह तय कर सकेगी कि मामला दीवानी है या आपराधिक और उसके बाद कानून के अनुसार आगे बढ़े. पीठ ने नटराज से कहा कि वह इस बारे में निर्देश प्राप्त करें और दो हफ़्तों में अदालत को अवगत कराएं.



Source link

Related posts

‘जानबूझकर नहीं…’, अफगान विदेश मंत्री ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में महिला पत्रकारों की ‘नो एंट्री’ प

DS NEWS

बाढ़ और भूस्खलन पर SC का नोटिस, हिमाचल में लकड़ियों के बह कर आने को जंगल की कटाई का सबूत कहा

DS NEWS

नवरात्रि व्रत में भी एक्टिव दिखे पीएम मोदी, एक दिन में किया 3 राज्यों का दौरा, ट्रेड शो से लेकर

DS NEWS

Leave a Comment

DS NEWS
The News Times India

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More

Privacy & Cookies Policy