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भारत में कम होंगी स्कॉच व्हिस्की की कीमतें? जानें ब्रिटेन-भारत ट्रेड डील से क्या होगा असर
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भारत में कम होंगी स्कॉच व्हिस्की की कीमतें? जानें ब्रिटेन-भारत ट्रेड डील से क्या होगा असर

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भारत में आने वाले दिनों में जल्दी ही प्रीमियम ब्रिटिश व्हिस्की ब्रांड्स की कीमतों में बड़ी गिरावट देखी जा सकती है. इसका मुख्य कारण भारत और ब्रिटेन के बीच व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने के लिए ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर का भारत दौरा है, जिसमें ब्रिटिश-निर्मित व्हिस्की पर खास ध्यान दिया जा रहा है.

दरअसल, भारत मात्रा के हिसाब से दुनिया में स्कौच और व्हिस्की का सबसे बड़ा उपभोक्ता देश है. भारत के बाजारों में चिवास रीगल, बैलेंटाइन, द ग्लेनलिवेट, ग्लेनफिडिच और जॉनी वॉकर जैसी ब्रिटिश व्हिस्की ब्रांड्स की खूब डिमांड है. ऐसे में भारत में स्कॉच व्हिस्की की भारी मांग, तेजी से बढ़ते मध्यम वर्ग और लग्जरी आयातित उत्पादों के प्रति बदलते स्वाद से प्रेरित रही है.

इस साल जुलाई महीने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लंदन यात्रा के दौरान भारत और ब्रिटेन के बीच कॉम्प्रिहेंसिव इकोनॉमिक एंड ट्रेड एग्रिमेंट (CETA) पर हस्ताक्षर हुए थे, जो महंगी शराब को सस्ता बनाने का वादा करता है. इस एग्रीमेंट का असर सिर्फ विदेशी ब्रांड्स पर ही नहीं होगा, बल्कि भारतीय बाजार में बिकने वाले IMFL (India-Made Foreign Liquor) ब्रांड्स की कीमतों में भी कमी आएगी.

तीन साल की बातचीत के बाद भारत-UK के बाद CETA पर हस्ताक्षर

भारत और ब्रिटेन के बीच यह व्यापार समझौता तीन साल की कठिन वार्ताओं के बाद हुआ है, जिसे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ तनाव जैसी परिस्थितियों ने और तेज कर दिया. इस समय ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर भारत के दौरे पर आएं हैं. उनके साथ स्कॉच व्हिस्की एसोसिएशन के सदस्य और जॉनी वॉकर के निर्माता डिएगो जैसी बड़ी कंपनियों के अधिकारी भी आएं हैं. ब्रिटिश प्रधानमंत्री की इस भारत यात्रा का उद्देश्य व्यापार, फिनटेक, रक्षा और अन्य क्षेत्रों में भारत-यूके के संबंधों को मजबूत करना है. हालांकि, इस समझौते में सबसे ज्यादा सुर्खियां शराब क्षेत्र बटोर रहा है, जिसमें स्कॉच व्हिस्की को लेकर हुए समझौते को बड़ी सफलता के तौर पर देखा जा रहा है.

एक बिलियन डॉलर तक पहुंच सकती है भारत में व्हिस्की की सालाना बिक्री

डाउनिंग स्ट्रीट के अनुमान के मुताबिक, भारत में स्कॉच व्हिस्की की सालाना बिक्री 1 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकती है. इससे स्कॉटलैंड में 1000 से ज्यादा नई नौकरियां पैदा होंगी, ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था को हर साल 190 मिलियन पाउंड का फायदा होगा और 2024 तक दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 25.5 बिलियन पाउंड (34 बिलियन डॉलर) तक बढ़ सकता है. इस कदम से भारत में उपभोक्ताओं को प्रीमियम व्हिस्की सस्ती दरों पर मिल सकेगी.

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