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‘कोर्ट में कोई नया हलफनामा पेश नहीं किया गया’, टीडीबी अध्यक्ष ने सबरीमला मुद्दे पर कहा
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‘कोर्ट में कोई नया हलफनामा पेश नहीं किया गया’, टीडीबी अध्यक्ष ने सबरीमला मुद्दे पर कहा

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त्रावणकोर देवस्वोम बोर्ड (TDB) के अध्यक्ष पी.एस. प्रशांत ने बुधवार (10 सितंबर, 2025) को कहा कि बोर्ड की ओर से 2016 में सुप्रीम कोर्ट में पेश किए गए आखिरी हलफनामे में सबरीमला मंदिर में युवतियों के प्रवेश से जुड़े पारंपरिक रीति-रिवाजों और अनुष्ठानों की रक्षा करने का अनुरोध किया गया था.

पी. एस. प्रशांत ने संवाददाताओं से कहा कि इसके बाद से कोई नया हलफनामा पेश नहीं किया गया है और पिछला हलफनामा अब प्रासंगिक नहीं है. वह इस सवाल का जवाब दे रहे थे कि क्या टीडीबी भगवान अयप्पा मंदिर में मासिक धर्म आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश के संबंध में सुप्रीम कोर्ट में अपना रुख बदलेगा.

विपक्षी दल कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने टीडीबी से इस मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट करने को कहा है. टीडीबी अध्यक्ष ने कहा कि पिछले चार-पांच सालों में सबरीमला मंदिर में सभी रीति-रिवाजों का बिना किसी चूक के सख्ती से पालन किया गया है.

उन्होंने कहा, ‘यह मामला सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ के समक्ष लंबित है. जहां तक टीडीबी का सवाल है, बोर्ड द्वारा 2016 में प्रस्तुत अंतिम हलफनामे में महिलाओं के प्रवेश के मुद्दे पर मंदिर के रीति-रिवाजों और परंपराओं की रक्षा करने का प्रयास किया गया था.’ 

भगवान अयप्पा मंदिर में सुचारू रूप से चल रही गतिविधियों का उल्लेख करते हुए प्रशांत ने कहा कि पिछली वार्षिक तीर्थयात्रा के दौरान 54 लाख तीर्थयात्रियों ने पहाड़ी पर स्थित इस मंदिर में दर्शन किए. टीडीबी अध्यक्ष 20 सितंबर को राज्य सरकार के सहयोग से आयोजित अयप्पा संगमम में शाही परिवार के सदस्यों को आमंत्रित करने के लिए यहां पंडालम पहुंचे.

सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में सबरीमला मंदिर में मासिक धर्म आयु वर्ग वाली महिलाओं के प्रवेश पर लगे प्रतिबंध को असंवैधानिक करार देते हुए हटा दिया था. इस फैसले के बाद व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए और यह अब भी एक वृहद पीठ के समक्ष विचाराधीन है.

सबरीमला में भगवान अयप्पा मंदिर में रजस्वला आयु वर्ग की दो महिलाओं के प्रवेश की अनुमति देने के लिए मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) और वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) की सरकार को अयप्पा भक्तों के एक वर्ग, कांग्रेस नीत गठबंधन और संघ परिवार की ओर से कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा था.



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