DS NEWS | The News Times India | Breaking News
‘अमेरिका-चीन के साथ काम से काम रखें’, गुवाहाटी में संघ प्रमुख भगवत का बड़ा बयान
India

‘अमेरिका-चीन के साथ काम से काम रखें’, गुवाहाटी में संघ प्रमुख भगवत का बड़ा बयान

Advertisements



राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने बुधवार को असम और पूर्वोत्तर भारत के युवाओं से अपील की है कि वे संगठन के बारे में पूर्वाग्रहों या दुष्प्रचार के आधार पर अपनी राय न बनाएं. उन्होंने अपनी तीन दिवसीय असम यात्रा के अंतिम दिन युवा नेतृत्व सम्मेलन को संबोधित करते हुए आरएसएस के सिद्धांतों, आदर्शों और कार्यप्रणाली पर प्रकाश डाला, साथ ही संगठन के बारे में चल रहे वाद-विवाद और चर्चाओं का जवाब दिया.

मोहन भागवत ने कहा कि भारत एकमात्र देश है, जहां विविधिताओं का स्वीकार और सम्मान है. इस दौरान उन्होंने भारत को विश्वगुरु बनाने की दिशा में किए जाने वाले कामों का भी उल्लेख किया. उन्होंने कहा, “हमें चीन और अमेरिका के साथ काम से ही काम रखना है. अंतरराष्ट्रीय राजनीति ऐसे ही चलती है.”

भागवत ने दावा किया कि अंतरराष्ट्रीय मंचों और डिजिटल स्रोतों पर संघ के बारे में 50 प्रतिशत से अधिक जानकारी या तो गलत है या अधूरी है. उन्होंने विभिन्न मीडिया संस्थानों पर आरएसएस के बारे में जानबूझकर गलत सूचना फैलाने का अभियान चलाने का आरोप लगाया. आरएसएस के संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार के दृष्टिकोण का जिक्र करते हुए भागवत ने कहा कि संघ का मुख्य उद्देश्य भारत को विश्वगुरु बनाना है.

उन्होंने कहा, “राष्ट्र का उत्थान तभी हो सकता है जब समाज का उत्थान हो. एकजुट समाज ही एक प्रगतिशील राष्ट्र का नेतृत्व कर सकता है.” उन्होंने युवाओं से विकसित देशों के इतिहास का अध्ययन करने का आग्रह किया और कहा कि अध्ययन के दौरान वे पाएंगे कि उन्होंने विकास के पहले 100 साल के दौरान समाजों में एकता और गुणात्मक शक्ति कायम करने पर ध्यान केंद्रित किया.

उन्होंने कहा, “भारतीय समाज को भी इसी तरह विकसित होने की आवश्यकता है और यह विचार आरएसएस के सामाजिक परिवर्तन के पांच प्रमुख सिद्धांतों में परिलक्षित होता है, जो इसके शताब्दी वर्ष के अवसर पर अपनाए गए हैं.” भागवत ने कहा कि एक राष्ट्र के रूप में भारत की महानता भाषाई, क्षेत्रीय और आस्था-आधारित विविधताओं का सम्मान करने और उन्हें स्वीकार करने की उसकी दीर्घकालिक परंपरा में निहित है.

विविधता के महत्व पर बात करते हुए उन्होंने कहा पाकिस्तान समेत भारत से अलग होने वालों ने अंततः इन परंपराओं को खो दिया. उन्होंने दावा किया कि हिंदू विविधता का सम्मान करते हैं और ऐसे समाज का निर्माण करना आरएसएस का प्राथमिक उद्देश्य है. उन्होंने कहा, “जब तक भारतीय समाज संगठित और गुणवान नहीं होगा, तब तक देश का भाग्य नहीं बदलेगा.”

उन्होंने कहा कि गुरु नानक और श्रीमंत शंकरदेव जैसे महान आध्यात्मिक गुरू देश की विविधता का पूरा सम्मान करते थे और उन्होंने अपनी शिक्षाओं के माध्यम से एकता के संदेश को बढ़ावा दिया. उन्होंने कहा, “संघ का उद्देश्य जमीनी स्तर पर एक गैर-राजनीतिक और सामाजिक नेतृत्व विकसित करना है. व्यक्तियों के जीवन में बदलाव से समाज में परिवर्तन होता है और जब समाज बदलता है तो व्यवस्थाएं भी बदलती हैं.”

भागवत ने युवाओं को यह अनुभव करने के लिए भी आमंत्रित किया कि कैसे आरएसएस शाखाओं की गतिविधियां व्यक्तियों के गुण और चरित्र को बेहतर बनाने पर केंद्रित होती हैं. बाद में एक संवाद सत्र में भाग लेते हुए भागवत ने कहा कि आरएसएस का मुख्य लक्ष्य एक सशक्त भारत का निर्माण करना है और एक बार देश सशक्त हो जाए, तो शेष भारत के साथ पूर्वोत्तर क्षेत्र को लेकर विभिन्न चिंताएं स्वतः ही समाप्त हो जाएंगी. उन्होंने युवाओं से अपने समय, रुचि, स्थान और क्षमता के अनुसार आरएसएस की गतिविधियों में शामिल होने का भी आह्वान किया.



Source link

Related posts

क्या लोगों को वोट करने का भी मिलेगा हक? केंद्र के विदेशी नागरिक अधिनियम के आदेश पर भड़कीं ममता

DS NEWS

बंगाल चुनाव से पहले हिंदू वोट बैंक पर BJP की नजर, दुर्गा पूजा में शामिल होंगे अमित शाह

DS NEWS

‘आतंकवाद के सभी रूपों खिलाफ है भारत’, यरुशलम हमले की पीएम मोदी ने की निंदा

DS NEWS

Leave a Comment

DS NEWS
The News Times India

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More

Privacy & Cookies Policy