देश में रोहिंग्या घुसपैठियों की चुनौती को देखते हुए देश की सबसे बड़ी इंटेलिजेंस एजेंसी आईबी (इंटेलिजेंस ब्यूरो) ने भी कमर कस ली है. पश्चिम बंगाल में रोहिंग्या घुसपैठियों से निबटने के लिए आईबी को रोहिंग्या भाषा जानने वाले सिक्योरिटी असिस्टेंट (एग्ज्यूकेटिव) की दरकार है. इन युवाओं को कोलकाता में आईबी के सब्सिडियरी ब्यूरो (SIB) में तैनात किया जाएगा.
गृह मंत्रालय ने निकालीं करीब 5 हजार भर्ती
एबीपी न्यूज को मिली एक्सक्लूसिव जानकारी के मुताबिक, गृह मंत्रालय ने आईबी में थोक में सिक्योरिटी असिस्टेंट की भर्ती निकाली है. आईबी ने करीब पांच हजार (कुल 4987) रिक्तियों के लिए आवेदन मंगाए हैं. ये सभी भर्तियां राज्य स्तर यानी सब्सिडियरी इंटेलिजेंस ब्यूरो (SIB) में की जाएंगी.
इसके लिए उन स्थानीय युवकों से आवदेन की मांग की गई है, जिन्हें अपने क्षेत्र की भाषा या बोली का ज्ञान है. जम्मू कश्मीर और लेह-लद्दाख से लेकर त्रिवेंद्रम और जयपुर से लेकर कोलकाता और अगरतला तक आईबी के कुल 37 एसआईबी के लिए भर्ती निकाली गई है.
इन भाषाओं का ज्ञान जरूरी
हैरानी की बात ये है कि कोलकाता के लिए आईबी ने रोहिंग्या भाषा को जानने वाले युवकों से भी आवेदन करने के लिए कहा गया है. कोलकाता के लिए आईबी को कुल 298 सिक्योरिटी असिस्टेंट की आवश्यकता है. इसके लिए युवाओं को बंगाली, नेपाली, भूटानी, उर्दू, संथली, सिलहटी या फिर रोहिंग्या भाषा का ज्ञान जरूरी है.
रोहिंग्या भाषा को जानने वाले अधिकारियों की जरूरत
दरअसल, बांग्लादेश से पश्चिम बंगाल की सीमा में बड़ी संख्या में रोहिंग्या समुदाय के लोगों की अवैध घुसपैठ होती है. ऐसे में उन पर नजर रखने के साथ ही पूछताछ करने के लिए रोहिंग्या भाषा को जानने वाले अधिकारियों की जरूरत है.
सिक्योरिटी असिस्टेंट पद के लिए गृह मंत्रालय की ओर स ऑनलाइन एग्जाम के जरिए अभ्यर्थियों की स्क्रीनिंग की जाएगी. लेवल-3 (ग्रुप सी केंद्र सर्विस) के पद के लिए पेय मैट्रिक्स 21,700-69,100 के बीच रखा गया है.
रोहिंग्या घुसपैठिए एक बड़ा सिरदर्द
भारत के लिए म्यांमार के रोहिंग्या घुसपैठिए एक बड़ा सिरदर्द बन गए हैं. हाल ही में संयुक्त राष्ट्र (यूएन) की एक रिपोर्ट ने इस तरफ इशारा किया था. यूनाइटेड नेशन हाई कमिश्नर फॉर रिफ्यूजी (UNHCR) की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले 18 महीने में करीब 1.50 लाख रोहिंग्या म्यांमार से विस्थापित होकर बांग्लादेश पहुंचे हैं.
बांग्लादेश के कॉक्स बाजार में पहले से करीब 10 लाख रोहिंग्या शरणार्थी रह रहे हैं. बांग्लादेश की आर्थिक हालत खस्ता होने के चलते, ये शरणार्थी गुपचुप तरीके से पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा और असम जैसे राज्यों में घुसपैठ कर लेते हैं, क्योंकि इन राज्यों की सीमा बांग्लादेश से सटी है.
भारत के खिलाफ साजिश रचने की फिराक
बांग्लादेश में अस्थायी यूनुस सरकार पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई और कट्टरपंथी इस्लामिक जमात के हाथों में खेल रही है. दोनों ही भारत के खिलाफ साजिश रचने की फिराक में हैं. इस तरह की खबरें भी सामने आई हैं कि आईएसआई और जमात, रोहिंग्या शरणार्थियों को आतंकी ट्रेनिंग भी दे रही है, ताकि म्यांमार के जुंटा (मिलिट्री शासन) से लड़ सकें. ऐसे में भारत के लिए भी एक बड़ा खतरा बना हुआ है, क्योंकि भारत, बांग्लादेश और म्यांमार की सीमाएं सटी हुई हैं.