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संसद में अब पहलगाम हमले और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर होगा सरकार-विपक्ष का आमना-सामना
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संसद में अब पहलगाम हमले और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर होगा सरकार-विपक्ष का आमना-सामना

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संसद के मानसून सत्र का पहला सप्ताह हंगामे की भेंट चढ़ने के बाद सोमवार (28 जुलाई, 2025) से पहलगाम हमले और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर तीखी बहस होने की संभावना है, क्योंकि सत्तारूढ़ गठबंधन और विपक्ष राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति से जुड़े दो मुद्दों पर आमने-सामने होंगे.

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) और विपक्षी दलों की ओर से लोकसभा और राज्यसभा में चर्चा के दौरान अपने शीर्ष नेताओं को मैदान में उतारे जाने की उम्मीद है.

केंद्र सरकार के ये मंत्री रखेंगे अपना पक्ष

सूत्रों ने बताया कि गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस जयशंकर इन मुद्दों पर सरकार का पक्ष रखेंगे. ऐसे संकेत हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्रीय सुरक्षा पर अपनी सरकार के ‘मजबूत’ रुख के ट्रैक रिकॉर्ड से अवगत कराने के लिए हस्तक्षेप कर सकते हैं.

दोनों सदनों में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव और अन्य नेताओं के साथ मिलकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल सकते हैं. संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने 25 जुलाई को कहा था कि सत्र का पहला सप्ताह लगभग व्यर्थ चला गया और विपक्ष ने सोमवार को लोकसभा में और उसके बाद मंगलवार को राज्यसभा में इन दोनों मुद्दों पर चर्चा शुरू करने पर सहमति जताई है.

 सदन में 16 घंटे की बहस पर सहमति

दोनों पक्षों ने प्रत्येक सदन में 16 घंटे की बहस पर सहमति व्यक्त की है, जो सामान्यत: तय समय से अधिक होती है. अनुराग ठाकुर, सुधांशु त्रिवेदी और निशिकांत दुबे जैसे मंत्रियों और नेताओं के अलावा, सत्तारूढ़ राजग की ओर से उन सात बहुदलीय प्रतिनिधिमंडलों के सदस्यों को भी मैदान में उतारे जाने की उम्मीद है, जो ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत का पक्ष रखने के लिए 30 से अधिक देशों की यात्रा कर चुके हैं.

इनमें शिवसेना के श्रीकांत शिंदे, जनता दल यूनाइटेड के संजय झा और तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) के हरीश बालयोगी शामिल हैं. हालांकि, अब भी इस पर सवाल है कि क्या शशि थरूर, जिन्होंने अमेरिका सहित अन्य देशों में प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया था, को कांग्रेस की ओर से वक्ता के रूप में चुना जाएगा.

शशि थरूर को मिल सकता है बोलने का मौका

थरूर ने आतंकवादी हमले के बाद सरकार की कार्रवाई का उत्साहपूर्वक समर्थन किया, जिससे उनकी अपनी पार्टी से संबंध खराब हो गए हैं. चूंकि उन्होंने एक महत्वपूर्ण प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया था, इसलिए उनको अपनी बात रखने का मौका दिया जा सकता है.

विपक्षी दल 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के पीछे कथित खुफिया चूक और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से भारत और पाकिस्तान के बीच ‘संर्घर्षविराम’ में मध्यस्थता के दावे किए जाने के आधार पर सरकार को घेरने की तैयारी कर रहे हैं.

ऑपरेशन सिंदूर को लेकर विपक्ष लगातार हमलावर

पहलगाम हमले में 26 लोग मारे गए थे, जिनमें से अधिकतर पर्यटक थे. राहुल गांधी ने बार-बार सरकार की विदेश नीति पर हमला किया है. उनका दावा है कि भारत को ऑपरेशन सिंदूर में अंतरराष्ट्रीय समर्थन नहीं मिला. वह सत्तारूढ़ गठबंधन पर निशाना साधने के लिए ट्रंप के लगातार मध्यस्थता के दावों का हवाला देते रहे हैं.

मोदी ने ऑपरेशन सिंदूर की सराहना की है. पहलगाम हमले के बाद इस ऑपरेशन के तहत पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर और पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया था. प्रधानमंत्री और सरकार के मुताबिक, ऑपरेशन सिंदूर अपने उद्देश्यों में 100 प्रतिशत सफल रहा और इसने भारत के स्वदेशी हथियारों की क्षमता को साबित किया.

पाकिस्तान से जुड़े आतंकवाद के खिलाफ भारत की नयी नीति

आतंकी ठिकानों पर भारत के हमले के बाद पाकिस्तान की ओर से हमला किए जाने के कारण दोनों देशों के बीच चार दिन तक संघर्ष चला. भारत ने दावा किया है कि पड़ोसी देश के कई हवाई ठिकानों को गंभीर नुकसान पहुंचा है. मोदी ने कहा कि भारत ने पाकिस्तान से जुड़े आतंकवाद के खिलाफ नयी नीति अपनाई है और वह आतंकवादियों और उनके प्रायोजकों के बीच कोई अंतर नहीं करेगा.

सरकार और विपक्ष के बीच गतिरोध का एक मुद्दा यह है कि विपक्ष ने निर्वाचन आयोग की ओर से बिहार में मतदाता सूची के जारी विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) पर संसद में चर्चा की मांग की है. विपक्ष ने एकजुट होकर सत्र के पहले सप्ताह में मुख्य रूप से इसी मुद्दे पर संसद की कार्यवाही बाधित की.

एसआईआर पर बहस की मांग

उसका दावा है कि इस कवायद का उद्देश्य चुनावी राज्य में भाजपा नीत गठबंधन को मदद पहुंचाना है, जबकि निर्वाचन आयोग का कहना है कि उसका पूरा ध्यान केवल यह सुनिश्चित करने पर है कि केवल पात्र लोग ही मतदान करें. रीजीजू ने कहा है कि संसद में हर मुद्दे पर एक साथ चर्चा नहीं की जा सकती और सरकार नियमों के अनुसार एसआईआर पर बहस की मांग पर बाद में निर्णय लेगी.



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