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दो सगे भाइयों ने मिलकर ईरान को लगा दिया करोड़ों का चूना! फर्जी BARC वैज्ञानिक बनकर बड़ा झोल
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दो सगे भाइयों ने मिलकर ईरान को लगा दिया करोड़ों का चूना! फर्जी BARC वैज्ञानिक बनकर बड़ा झोल

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मुंबई क्राइम ब्रांच और दिल्ली स्पेशल सेल की संयुक्त जांच में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. दो भाइयों अख्तर हुसैनी कुतुबुद्दीन अहमद और अदील हुसैनी को गिरफ्तार किया गया है, जिन्होंने खुद को BARC के वैज्ञानिक बताकर लिथियम-6 आधारित न्यूक्लियर फ्यूजन रिएक्टर टेक्नोलॉजी को अवैध रूप से बेचने की साजिश रची थी.

सूत्रों ने बताया कि दोनों आरोपी झारखंड के जमशेदपुर के रहने वाले हैं. उन्होंने फर्जी डिग्रियों के सहारे खुद को परमाणु वैज्ञानिक बताया और दोनों ने अंतरराष्ट्रीय ग्रे मार्केट में इस तकनीक को बेचने की कोशिश की और यहां तक कि इसे ईरान सरकार से जुड़े वैज्ञानिक पैनलों तक पेश करने का प्रयास किया.

वर्चुअल नेटवर्क और एन्क्रिप्टेड चैनलों का इस्तेमाल
मुंबई क्राइम ब्रांच और दिल्ली स्पेशल सेल की जांच में सामने आया कि दोनों भाइयों ने वर्चुअल नेटवर्क और एन्क्रिप्टेड चैनलों का इस्तेमाल करके वैज्ञानिक स्टेज और विदेशी रिसर्च ग्रुप से संपर्क किया. उन्होंने लिथियम-6 आधारित फ्यूजन रिएक्टर के डिजाइन, ब्लूप्रिंट्स और सिमुलेशन कोड साझा किए और दावा किया कि यह “न्यूक्लियर फ्यूजन एनर्जी” में एक Technological Breakthrough है. सूत्रों ने आगे दावा किया की दोनों ने ईरान, दुबई और भारत में स्थित ईरानी दूतावासों का कई बार दौरा किया, जहां उन्होंने अपने फर्जी रिएक्टर डिज़ाइन पेश भी किए.

पूछताछ में किया कबूल
एक अधिकारी ने बताया की पूछताछ में दोनों ने कबूल किया कि उन्होंने “लिथियम-6 आधारित फ्यूजन रिएक्टर प्रोटोटाइप” बनाया था और इसे प्लाज्मा वॉल इंटरैक्शन कंट्रोल और सेल्फ-रेग्युलेटेड एनर्जी मैनेजमेंट सिस्टम के रूप में पेश किया था, लेकिन विशेषज्ञों ने इसकी जांच में पाया कि यह पूरा मॉडल सिर्फ सैद्धांतिक था इसका कोई प्रयोगात्मक या वैज्ञानिक प्रमाण नहीं था.

डिफिकल्ट वैज्ञानिक भाषा में तैयार किया गया डिजाइन
विशेषज्ञों के अनुसार, यह डिजाइन डिफिकल्ट वैज्ञानिक भाषा में तैयार किया गया था, ताकि वह असली लगे और सामने वाले को कंफ्यूज किया जा सके. इसमें न्यूट्रॉन एब्सॉर्प्शन, ट्रिटियम ब्रीडिंग, प्लाज्मा थर्मोडायनेमिक्स जैसे शब्दों का इस्तेमाल कर इसकी विश्वसनीयता बढ़ाने की कोशिश की गई थी. जांच रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि दोनों भाइयों ने ईरानी सरकारी वैज्ञानिक पैनलों से ऑनलाइन मीटिंग की थी और उन्हें यह तकनीक बेचने का प्रस्ताव दिया था. उन्होंने दावा किया था कि उनका रिएक्टर मॉडल लिथियम-7 आधारित फ्यूजन टेक्नोलॉजी पर भी काम कर सकता है, लेकिन प्लाज़्मा फेल्योर की वजह से प्रयोग असफल रहा.

ईरान के विशेषज्ञों ने दावे को रिजेक्ट कर दिया
मामले से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि ईरान के विशेषज्ञों ने इस दावे को रिजेक्ट कर दिया और कहा कि यह प्लाज्मा एनॉमली और वैज्ञानिक आधारहीनता के कारण अविश्वसनीय है. BARC और अन्य परमाणु विशेषज्ञों से परामर्श के बाद एजेंसियों ने पुष्टि की कि दुनिया में कोई भी अधिकृत संस्था अभी तक ऐसी उच्चस्तरीय रिएक्टर तकनीक को विकसित नहीं कर पाई है. दोनों आरोपियों ने वैज्ञानिक शब्दों का जानबूझकर गलत उपयोग कर विदेशी एजेंसियों को भ्रमित करने की कोशिश की, ताकि उन्हें फायदा हो सके.

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