केंद्र सरकार की तरफ से मंगलवार (22 जुलाई, 2025) को संसद में बताया गया कि 2024 के दौरान कुत्तों के काटने के 37 लाख से अधिक मामले और रेबीज के कारण 54 संदिग्ध मौतें दर्ज की गईं हैं. न्यूज़ एजेंसी पीटीआई के मुताबिक लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी राज्य मंत्री एसपी सिंह बघेल ने बताया कि कुत्तों के काटने के कुल मामलों और रेबीज के कारण संदिग्ध मौतों का आंकड़ा राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) द्वारा राष्ट्रीय रेबीज नियंत्रण कार्यक्रम के तहत राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों से एकत्र किया जाता है.
साल 2024 में कुत्तों के काटने के कितने मामले आए ?
उन्होंने बताया कि एनसीडीसी की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक साल 2024 में कुत्तों के काटने के कुल मामले 37,17,336 थे, जबकि रेबीज के कारण कुल संदिग्ध मौतें 54 थीं. एसपी सिंह बघेल ने बताया कि आवारा कुत्तों की आबादी को नियंत्रित करने की जिम्मेदारी नगरपालिकाओं की है और वे इनकी आबादी को नियंत्रित करने के लिए पशु जन्म नियंत्रण कार्यक्रम लागू कर रहे हैं.
पीटीआई के मुताबिक कर्नाटक में पिछले 6 महीनों के भीतर ही 2.3 लाख से ज्यादा कुत्तों के काटने के मामले सामने आए हैं. इनमें 19 लोगों की रेबीज से मौत हुई, जो पिछले साल की तुलना से काफी ज्यादा है.
आवारा पशुओं को खाना देने को लेकर केंद्रीय मंत्री ने क्या बताया ?
केंद्रीय राज्य मंत्री ने बताया कि इसके अलावा केंद्र सरकार ने पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 के तहत पशु जन्म नियंत्रण (एबीसी) नियम 2023 को अधिसूचित किया है जो आवारा कुत्तों के बंध्याकरण और रेबीज रोधी टीकाकरण पर केंद्रित है.
आवारा पशुओं को खाना देने से संबंधित शिकायतों पर भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड उचित कार्रवाई के लिए रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन, अपार्टमेंट ऑनर्स एसोसिएशन या संबंधित स्थानीय संगठनों को पत्र लिखता है. मंत्री ने बताया कि 2024-25 और जून 2025 तक, बोर्ड ने ऐसे 166 पत्र जारी किए हैं.
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