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लद्दाख में फिर निकलेगा विरोध मार्च, LAB-KDA की सरकार को वॉर्निंग, बोले- ‘शक्तिशाली तूफान…’
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लद्दाख में फिर निकलेगा विरोध मार्च, LAB-KDA की सरकार को वॉर्निंग, बोले- ‘शक्तिशाली तूफान…’

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लद्दाख के संयुक्त नेतृत्व ने लद्दाख में विरोध मार्च और आंदोलन को फिर से शुरू करने की घोषणा की है, जिसे 4 सितंबर को हुए हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बाद स्थगित कर दिया गया था. हिंसक प्रदर्शनों में चार प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई थी और लगभग 100 अन्य घायल हो गए थे. 

नए आंदोलन का पहला विरोध मार्च शनिवार (18 अक्टूबर, 2025) से शुरू होगा और पूरे केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में आयोजित किया जाएगा. लेह एपेक्स बॉडी और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस, दोनों के नेतृत्व के अनुसार, नए विरोध कार्यक्रम में दो घंटे का शांतिपूर्ण मौन मार्च और उसके बाद शाम को ब्लैकआउट शामिल होगा.

शांतिपूर्ण मौन मार्च के बाद होगा ब्लैकआउट 

दोनों समूहों की कोर कमेटी की बैठक के बाद, यह निर्णय लिया गया कि उसी शाम पूरे लद्दाख में दो घंटे का शांतिपूर्ण मौन मार्च निकाला जाएगा और उसके बाद शाम 6 बजे से रात 9 बजे तक ब्लैकआउट रहेगा.

लद्दाख के दो प्रमुख समूहों की ओर से उठाई गई नई मांगों को लेकर केंद्र सरकार के साथ बातचीत रुकी हुई है, जिनमें लेह गोलीबारी की न्यायिक जांच, सभी आंदोलनकारियों के खिलाफ मामले वापस लेने और सोनम वांगचुक की रिहाई की मांग शामिल है. राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत हिरासत में लिए गए सोनम वांगचुक वर्तमान में राजस्थान की एक जेल में बंद हैं.

मौन विरोध शक्तिशाली तूफान में बदलने की चेतावनी 

मंगलवार को लेह में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में, लेह एपेक्स बॉडी (LAB) और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (KDA) के प्रतिनिधियों, जो इस आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं, ने अधिकारियों को कड़ी चेतावनी देते हुए सरकार से उनकी मांगें पूरी करने का आग्रह किया और चेतावनी दी कि अगर यह नहीं हुआ तो मौन विरोध एक शक्तिशाली तूफान में बदल सकता है.

24 सितंबर को जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक के नेतृत्व में भूख हड़ताल के दौरान हिंसा भड़क उठी, जो लद्दाख के लिए संवैधानिक सुरक्षा उपायों की मांग को लेकर 35 दिनों से अनशन कर रहे थे. इस घटना के बाद, दिल्ली और लद्दाख के नेताओं के बीच बातचीत में गतिरोध आ गया, क्योंकि समूहों ने हत्याओं की न्यायिक जांच सहित कई नई मांगें रखीं.

असगर करबलाई का मंत्रालय को अनुरोध

असगर करबलाई ने लद्दाख प्रशासन और गृह मंत्रालय को एक ‘अंतिम अनुरोध’ जारी करते हुए कहा, ‘इससे पहले कि यह खामोशी तूफान में बदल जाए, LAB और KDA की ओर से घोषित शर्तें पूरी होनी चाहिए, जिनमें न्यायिक जांच, पीड़ितों को मुआवजा, सोनम वांगचुक सहित सभी बंदियों की रिहाई और राज्य का दर्जा व छठी अनुसूची के दर्जे पर बातचीत फिर से शुरू करना शामिल है.’

70 से अधिक लोगों में से 49 को जमानत

नेताओं ने कहा कि उन्हें केंद्र सरकार से न्यायिक जांच का आश्वासन मिला है, लेकिन अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन पर स्थानीय लोगों को लगातार परेशान करने का भी आरोप लगाया. लद्दाख के सांसद मोहम्मद हनीफा जान ने भी केंद्रीय गृह मंत्रालय से समूहों की मांगों पर ध्यान देने की अपील की, ताकि बातचीत फिर से शुरू हो सके.

इस बीच, लेह में 24 सितंबर को हुई हिंसा के सिलसिले में गिरफ्तार किए गए सात लोगों को मंगलवार को जमानत दे दी गई, जिनमें कांग्रेस पार्षद स्टैनजिन त्सेपाग भी शामिल हैं. घटना के बाद लद्दाख पुलिस की ओर से गिरफ्तार किए गए 70 से अधिक लोगों में से अब तक कुल 49 लोगों को जमानत मिल चुका है.

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