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‘रेड्डी हो या राव, हम किसी के दुमछल्ले नहीं’, अकबरुद्दीन ओवैसी के बयान ने बढ़ाया सियासी पारा
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‘रेड्डी हो या राव, हम किसी के दुमछल्ले नहीं’, अकबरुद्दीन ओवैसी के बयान ने बढ़ाया सियासी पारा

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तेलंगाना की जुबिली हिल्स विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव ने राजनीति में एक नया मोड़ ला दिया है. एक ओर AIMIM (ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन) ने कांग्रेस उम्मीदवार को समर्थन देने का ऐलान किया है, वहीं दूसरी ओर पार्टी के फायरब्रांड नेता और विधायक अकबरुद्दीन ओवैसी ने एक सनसनीखेज बयान देकर सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है.

ओवैसी बंधुओं की पार्टी के इस फैसले से यह सीट हाई-प्रोफाइल बन गई है. AIMIM प्रमुख असुद्दीन ओवैसी ने खुद जुबिली हिल्स में कांग्रेस प्रत्याशी के लिए प्रचार किया, लेकिन उनके छोटे भाई अकबरुद्दीन ओवैसी का बयान इस गठबंधन के बीच AIMIM की स्वतंत्र राजनीतिक पहचान को दर्शाता है.

अकबरुद्दीन का तेलंगाना CM और पूर्व CM को चुनौती

अकबरुद्दीन ने तीखे शब्दों में कहा, ‘रेड्डी हो या राव, हम किसी के दुमछल्ले नहीं! हम सब से काम करवाना जानते हैं.’ यह बयान सीधे तौर पर मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी और पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव दोनों को चुनौती देता है. उनका यह बयान केवल जुबिली हिल्स उपचुनाव तक सीमित नहीं है, बल्कि यह इस बात की याद दिलाता है कि हैदराबाद की राजनीति में असली ताकत का केंद्र AIMIM है.

यह तेवर AIMIM के उस पुराने रुतबे को दर्शाता है, जिसमें वह किसी भी राष्ट्रीय या क्षेत्रीय दल के दबाव में काम नहीं करती. जुबिली हिल्स में AIMIM का कांग्रेस को समर्थन देने का फैसला एक रणनीतिक कदम माना जा रहा है. यहां मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं और AIMIM का समर्थन कांग्रेस की जीत की संभावनाओं को मजबूती देगा.

AIMIM की सोची-समझी साजिश

असदुद्दीन ओवैसी ने BRS पर क्षेत्र के विकास की अनदेखी करने का आरोप लगाया है, जिससे यह साफ है कि उनका समर्थन विकास के एजेंडे पर टिका है. हालांकि, अकबरुद्दीन का बयान यह भी साफ कर देता है कि यह समर्थन मजबूरी नहीं, बल्कि AIMIM के अपने राजनीतिक हित और हैदराबाद में ‘किंगमेकर’ की भूमिका को बनाए रखने की एक सोची-समझी चाल है. यह देखना दिलचस्प होगा कि ओवैसी बंधुओं की यह दोहरी रणनीति जुबिली हिल्स के मतदाताओं को कितना प्रभावित करती है और उपचुनाव का परिणाम क्या आता है.

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