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ऑपरेशन सिंदूर के बाद अमेरिका ने की भारत के साथ बड़ी डील! जैवलिन मिसाइलें-एक्सकैलिबर गोले की हुई
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ऑपरेशन सिंदूर के बाद अमेरिका ने की भारत के साथ बड़ी डील! जैवलिन मिसाइलें-एक्सकैलिबर गोले की हुई

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ऑपरेशन सिंदूर के बाद से अमेरिका के साथ संबंधों में आई खटास के बीच ट्रंप प्रशासन ने भारत को 100 जैवलिन एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल (एटीजीएम) और एम-700 तोप के 216 गोले (एक्सकैलिबर प्रोजेक्टाइल) देने की घोषणा की है. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान, भारतीय सेना ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में आतंकियों के ठिकानों को तबाह करने के लिए एम-777 तोप का जमकर इस्तेमाल किया था.

अमेरिका के विदेश विभाग (मंत्रालय) की डिफेंस एंड सिक्योरिटी एजेंसी के मुताबिक, फोरेन मिलिट्री सेल्स (एफएमएस) के तहत भारत को एम982ए1 एक्सकैलिबर टेक्टिकल प्रोजेक्टाइल और 25 जैवलिन लॉन्चर के साथ 100 मिसाइल (राउंड) सप्लाई करने की मंजूरी दी गई है. एजेंसी के मुताबिक, भारत के आग्रह पर इन हथियारों और गोला-बारूद की सप्लाई की जा रही है. तोप के गोलों की कुल कीमत 47.1 मिलियन डॉलर है, जबकि जैवलिन मिसाइल प्रणाली की कुल कीमत 45.7 मिलियन डॉलर है.

भारत-अमेरिका के सामरिक संबंध मजबूत होंगे
इस खरीद को मंजूरी के साथ, यूएस विदेश विभाग ने कहा कि इस खरीद से अमेरिका की फोरेन पॉलिसी और नेशनल सिक्योरिटी उद्देश्य को मदद मिलेगी और भारत-अमेरिका के सामरिक संबंध मजबूत होंगे. भारत को एक प्रमुख ‘रक्षा साझेदार’ बताते हुए अमेरिका ने कहा कि इस खरीद से भारत की “सुरक्षा में सुधार होगा, जो इंडो-पैसिफिक और दक्षिण एशिया क्षेत्रों में राजनीतिक स्थिरता, शांति और आर्थिक प्रगति के लिए एक महत्वपूर्ण शक्ति बना हुआ है.”

दक्षिण एशिया में मिलिट्री बैलेंस
अमेरिका ने हालांकि, ये भी कहा कि इन हथियारों की सप्लाई से भारत, वर्तमान और निकट भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए अपनी क्षमताओं को जरूर बढ़ाएगा, लेकिन इससे दक्षिण एशिया में ‘मिलिट्री बैलेंस’ में कोई बदलाव नहीं आएगा. अमेरिका ने अपने बयान में ये तक कहा कि इन हथियारों के जरिए भारतीय सेना की मारक क्षमता बेहद सटीक हो जाएगी.

ऑपरेशन सिंदूर में इस्तेमाल हुए हथियार
खास बात है कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान, भारतीय सेना (थल सेना) ने पीओके में आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद और लश्कर के तैयबा के छह (06) आतंकी ठिकानों को तबाह करने के लिए अमेरिका की एम-777 तोप का इस्तेमाल किया था. माना जाता है कि इन तोपों से निकले गोलों ने पीओके में जमकर तबाही मचाई थी. क्योंकि इन तोप के गोले, जिन्हे एक्सकैलिबर प्रोजेक्टाइल के नाम से जाना जाता है, जीपीएस के जरिए दागा जाता है. ऐसे में पारंपरिक तोप के गोलों के बजाए, एम-777 तोप के गोले अपने लक्ष्य पर बेहद सटीक टारगेट को बर्बाद कर देते हैं.

अल्ट्रा लाइट होवित्जर आर्टिलरी गन का सौदा
वर्ष 2018 में भारतीय सेना (रक्षा मंत्रालय) ने अमेरिका से 145 एम-777 अल्ट्रा लाइट होवित्जर आर्टिलरी गन का सौदा किया था. बेहद हल्की होने के चलते इन तोपों को पहाड़ों और ऊंचाई वाले इलाकों में आसानी से लिया जा सकता है. चीन से सटी एलएसी (वास्तविक नियंत्रण रेखा)के साथ-साथ, भारतीय सेना ने इन अमेरिकी तोपों को पाकिस्तान से सटी नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर भी तैनात कर रखा है. जैवलिन एटीजीएम को अमेरिका, पहली बार भारत को सप्लाई करने जा रहा है. यूएस आर्मी के साथ-साथ दुनियाभर की करीब दो दर्जन देशों की सेनाएं जैवलिन मिसाइल प्रणाली का इस्तेमाल करती हैं. ये मैन-पोर्टबेल यानी एक सैनिक के कंधे से लॉन्च होने वाली मिसाइल है जो दुश्मन के टैंक, मिलिट्री व्हीकल और बंकरों को तबाह करने के लिए इस्तेमाल की जाती है. ये एक फायर एंड फॉरगेट हथियार है.

ये भी पढ़ें: सेना पर टिप्पणी मामले में राहुल गांधी को राहत, सुप्रीम कोर्ट ने कार्यवाही पर लगी रोक आगे बढ़ाई



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