चीन भले पाकिस्तान को चोरी छिपे पनडुब्बियां सप्लाई करने की साजिश रच रहा है. इसके बावजूद भारत अच्छी तरह से जानता है कि इस चुनौती से कैसे निपटना है. इस मामले पर भारतीय नौसेना का कहना है कि भारत ने एंटी-सबमरीन वारफेयर के लिए पूरी कमर कस रखी है. राजधानी दिल्ली में गुरुवार (20 नवंबर 2025) को एक कार्यक्रम के दौरान नौसेना के वाइस चीफ वाइस एडमिरल संजय वात्स्यायन ने कहा, “हमें पूरी जानकारी है कि चीन पाकिस्तान को पनडुब्बियां दे रहा है और जल्द ही उनका इंडक्शन शुरू होगा, लेकिन हम भी हर स्थिति पर नजर रख रहे हैं और जवाबी तैयारी कर रहे हैं. हमें पता है कि एंटी-सबमरीन वारफेयर के लिए किन क्षमताओं की जरूरत है.”
चीन और पाकिस्तान के बीच में 8 पनडुब्बियों को लेकर एक करार हुआ है. इसके तहत चीन में बनी 4 पनडुब्बियां सीधे पाकिस्तान को सप्लाई की जाएगी, जबकि चार पाकिस्तान के कराची शिपयार्ड में चीन की मदद से तैयार की जाएगी. माना जा रहा है कि जल्द ही चीन में बनी पनडुब्बियों की डिलीवरी पाकिस्तान को हो सकती है.
क्यों किया जा रहा है INS माहे का निर्माण?
वाइस एडमिरल का बयान ऐसे समय में आया है, जब इसी महीने की 24 तारीख को भारतीय नौसेना, INS माहे को जंगी बेड़े में शामिल करने जा रही है. INS माहे, एक एंटी-सबमरीन वारफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट (ASW-SWC) है, जिसे कोचीन शिपयार्ड ने तैयार किया है. देश के बंदरगाहों, पोर्ट या फिर हार्बर के करीब समंदर में दुश्मन की पनडुब्बी न फटक पाए, इसके लिए INS माहे का निर्माण किया गया है.
INS आन्द्रोत और INS अर्णाला नौसेना में शामिल
कोचीन शिपयार्ड और कोलकाता स्थित गार्डन रीच शिपबिल्डर्स इंजीनियर्स (GRSI), 8-8 (कुल 16) ऐसे ASW-SWC जहाज का निर्माण कर रहे हैं. GRSI के बने 02 ASW-SWC, INS आन्द्रोत और INS अर्णाला भी इसी वर्ष नौसेना में शामिल हो चुके हैं.


