हैदराबाद से बेंगलुरु जा रही वोल्वो में अचानक आग लगने की घटना ने सभी को झकझोर कर रख दिया है. इस दर्दनाक हादसे से बच निकले लोगों ने पूरी कहानी बयां की है. उसी बस में सवार हरिका ने बताया कि अफरा-तफरी से चौंककर जब उनकी नींद खुली तो उन्होंने देखा कि आग ने लगभग पूरी बस को अपनी चपेट में ले लिया था.
बस के पिछले हिस्से में एक टूटे हुए दरवाजे से वो किसी तरह कूदकर बाहर निकलीं, हालांकि बस जलकर राख हो गई और उसमें सवार 20 लोगों की मौत हो गई. हैदराबाद से बेंगलुरु जा रहे लगभग 40 यात्रियों में शामिल हरिका बताती हैं कि यह घटना लगभग 3-3:30 बजे सुबह हुई होगी. आंध्र प्रदेश के कुरनूल जिले में उल्लिंडकोंडा के पास नेशनल हाईवे-44 पर एक दोपहिया वाहन से टकराने के बाद बस में आग लग गई.
‘ज़्यादातर यात्री गहरी नींद में थे’
उन्होंने बताया कि आग लगने के समय ज़्यादातर यात्री गहरी नींद में थे और आग लगने के बाद उन्हें बाहर निकलना मुश्किल हो रहा था. जब तक हरिका की नींद खुली, तब तक आग भड़क चुकी थी और कुछ ही सेकंड में पूरी बस में फैल गई. हरिका कहती हैं, “पिछला दरवाज़ा टूटा हुआ था, इसलिए मैं वहां से कूद गई. कूदते समय मुझे चोट लग गई.”
हरिका ने बताया कि अक्सर लंबी दूरी के रूटों पर चलने वाली स्लीपर बसों में सीटों पर पर्दे लगे होते हैं ताकि निजता बनी रहे. इस कारण बस से उतरते यात्रियों के लिए यह पता लगाना मुश्किल हो जाता है कि बाकी सीटें भरी हुई हैं या नहीं. हरिका कहती हैं, “चूंकि स्लीपर बस में लोग अक्सर चढ़कर सो जाते हैं. पर्दों की वजह से हमें पता ही नहीं चलता कि उसमें कितने लोग हैं या कौन हैं.”
कुछ लोग ड्राइवर की सीट के पास की खिड़कियां तोड़कर निकले
एक अन्य जीवित बचे व्यक्ति जयंत कुशवाहा ने बताया कि बस का मुख्य निकास द्वार बंद था. यात्रियों को आग से बचने के लिए खिड़कियां तोड़नी पड़ीं. उन्होंने बताया कि हमने पहले आगे से भागने की कोशिश की, लेकिन मुख्य निकास द्वार बंद था. फिर हमने पीछे की तरफ की आपातकालीन खिड़की तोड़ी और बाहर कूद गए. वह काफी ऊंची थी. इसी कारण गिरने से कुछ लोग बेहोश हो गए. इसके अलावा कुछ लोग ड्राइवर की सीट के पास की खिड़कियां तोड़कर भाग निकले.
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