केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को माओवादियों द्वारा प्रस्तावित संघर्ष विराम को खारिज करते हुए कहा कि यदि चरमपंथी आत्मसमर्पण करना चाहते हैं और हथियार डालना चाहते हैं, तो उनका स्वागत किया जाएगा और सुरक्षा बल उन पर एक भी गोली नहीं चलाएंगे. शाह ने नक्सलियों के आत्मसमर्पण और पुनर्वास के लिए भव्य और लाभदायक नीति का भरोसा भी दिया.
संघर्ष विराम प्रस्ताव खारिज
शाह ने कहा, ‘हाल ही में भ्रम फैलाने के लिए एक पत्र लिखा गया, जिसमें कहा गया कि अब तक जो कुछ हुआ है वह एक गलती है, युद्ध विराम घोषित किया जाना चाहिए और हम (नक्सली) आत्मसमर्पण करना चाहते हैं. मैं कहना चाहता हूं कि कोई संघर्षविराम नहीं होगा. अगर आप आत्मसमर्पण करना चाहते हैं, तो संघर्षविराम की कोई जरूरत नहीं है. हथियार डाल दें, एक भी गोली नहीं चलेगी.’
आत्मसमर्पण करने वालों के लिए पुनर्वास नीति
उन्होंने कहा कि यदि नक्सली आत्मसमर्पण करना चाहते हैं, तो उनके लिए ‘लाभदायक’ पुनर्वास नीति के साथ भव्य स्वागत किया जाएगा. ‘नक्सल मुक्त भारत’ पर आयोजित संगोष्ठी के समापन सत्र को संबोधित करते हुए शाह ने वामपंथी उग्रवाद को वैचारिक समर्थन देने के लिए वामपंथी दलों पर निशाना साधा. उन्होंने इस तर्क को खारिज किया कि माओवादी हिंसा विकास की कमी के कारण हुई. शाह ने कहा कि यह ‘लाल आतंक’ के कारण था कि कई दशकों तक देश के कई हिस्सों में विकास नहीं हो सका.
नक्सलियों के वैचारिक समर्थन पर जोर
शाह ने कहा कि कई लोग मानते हैं कि नक्सलियों द्वारा की जा रही हत्याओं को रोकना ही भारत से नक्सलवाद को खत्म करने के लिए पर्याप्त है. लेकिन उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत में नक्सलवाद इसलिए विकसित हुआ क्योंकि इसकी विचारधारा को समाज के लोगों ने पोषित किया.
उन्होंने कहा, ‘देश में नक्सल समस्या क्यों पैदा हुई, बढ़ी और विकसित हुई? किसने उन्हें वैचारिक समर्थन दिया? जब तक भारतीय समाज यह नहीं समझेगा, नक्सलवाद का विचार और समाज में वे लोग जिन्होंने वैचारिक समर्थन, कानूनी समर्थन और वित्तीय सहायता प्रदान की, तब तक नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई खत्म नहीं होगी.’
नक्सल विचारधारा को पोषित करने वालों की पहचान
शाह ने कहा, ‘हमें उन लोगों की पहचान करनी होगी और उन्हें समझना होगा जो नक्सल विचारधारा को पोषित करना जारी रखे हुए हैं.’ गृहमंत्री ने यह भी दावा किया कि देश 31 मार्च 2026 तक नक्सलवाद से मुक्त हो जाएगा.


