मिसाइल तकनीक के मामले में भारत अब चीन, अमेरिका और रूस जैसी शक्तियों की कतार में खड़ा है. ब्रह्मोस मिसाइल को तो दुनिया का कोई भी एयर डिफेंस सिस्टम इंटरसेप्ट नहीं कर सकता, लेकिन अब भारत जिस नए मिसाइल प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है, उसे ब्रह्मोस से कई गुना ज्यादा खतरनाक माना जा रहा है. रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) अब ‘ध्वनि’ नामक नई मिसाइल का परीक्षण करने की तैयारी कर रहा है. यह मिसाइल इतनी तेज है कि आवाज की गति से छह गुना ऊपर उड़ सकती है और दूर स्थित लक्ष्य पर केवल मिनटों में हमला कर सकती है. इसे तैयार करने का मकसद देश की रक्षा और आक्रामक क्षमता को नई ऊंचाइयों तक ले जाना है.
ध्वनि मिसाइल की तकनीकी खूबियां
ध्वनि एक हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल (HGV) है. यह मिसाइल पहले बैलिस्टिक बूस्टर की मदद से ऊंचाई तक पहुंचती है और फिर हवा में ग्लाइड करते हुए लक्ष्य पर हमला करती है. इसकी गति लगभग 7400 किलोमीटर प्रति घंटा है. मिसाइल का डिजाइन ऐसा है कि यह रडार में पकड़ में नहीं आती और दुश्मन को प्रतिक्रिया करने का समय बहुत कम मिलता है. ध्वनि हवा, जमीन और समुद्र से लॉन्च की जा सकती है.
DRDO का हाइपरसोनिक प्रोग्राम
ध्वनि मिसाइल एचएसटीडीवी (Hypersonic Technology Demonstrator Vehicle) प्रोग्राम पर आधारित है. 2020 में इसी प्रोग्राम के तहत स्क्रैमजेट इंजन का सफल परीक्षण किया गया था. हाल ही में लंबी अवधि तक स्क्रैमजेट का परीक्षण करना हाइपरसोनिक प्रोपल्शन के क्षेत्र में बड़ा कदम माना गया है.
ब्रहमोस के मुकाबले ध्वनि की ताकत
ब्रहमोस मिसाइल मैक 3 की रफ्तार से 290-600 किलोमीटर दूर लक्ष्य पर हमला करती है, जबकि ध्वनि मैक 5 से अधिक की रफ्तार से उड़ती है और दूर स्थित लक्ष्य तक लगभग 10 मिनट में पहुंच सकती है. ध्वनि की ग्लाइड पथ अनियमित है, जिससे यह रडार से बच जाती है. डीआरडीओ के वैज्ञानिकों के अनुसार, ब्रहमोस एक सटीक चाकू की तरह है, लेकिन ध्वनि अदृश्य रूप से प्रभाव डालने वाली ‘छाया’ जैसी है.
वैश्विक ताकत और रणनीतिक लाभ
अगर ध्वनि सफल रही, तो भारत अमेरिका, रूस और चीन जैसी चुनिंदा हाइपरसोनिक ताकतों में शामिल हो जाएगा. यह मिसाइल दुश्मन की प्रतिक्रिया समय को काफी कम कर देती है और युद्ध की रणनीति में अहम बदलाव ला सकती है. अफगानिस्तान और पाकिस्तान की सीमा के पास स्थित ठिकानों तक यह मिसाइल आसानी से पहुंच सकती है.
परीक्षण और भविष्य की योजना
पहला परीक्षण 2025 के अंत तक तटीय लॉन्च साइट से होगा. इसमें एयरफ्रेम, गाइडेंस सिस्टम और लॉन्च प्रक्रिया को परखा जाएगा. 2027 तक स्ट्रैटेजिक फोर्सेस कमांड के साथ यूजर ट्रायल शुरू होंगे और 2029-30 तक यह ऑपरेशनल हो सकती है. भविष्य में इसे अग्नि-वीआई बूस्टर या AMCA फाइटर के साथ लंबी दूरी तक सटीक हमले के लिए इस्तेमाल किया जा सकेगा.
आत्मनिर्भर भारत का प्रोजेक्ट
ध्वनि मिसाइल में 80% से अधिक हिस्से स्वदेशी हैं, जिनमें विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर के सॉलिड फ्यूल बूस्टर और रिसर्च सेंटर इमराट के सीकर्स शामिल हैं. हाइपरसोनिक आरएंडडी के लिए सरकार ने 25,000 करोड़ रुपये का फंड उपलब्ध कराया है. रक्षा बजट में 12% की वृद्धि भी इस परियोजना को प्राथमिकता देती है.


