दिल्ली-एनसीआर में लंबे अरसे के बाद आधिकारिक अनुमति के साथ दीवाली पर पटाखे चलाए जाने की संभावना बनती नजर आ रही है. सुप्रीम कोर्ट ने इस बात का संकेत दिया है कि वह दीवाली के दौरान शर्तों के साथ ग्रीन पटाखे के इस्तेमाल की अनुमति दे सकता है. कोर्ट ने लगभग डेढ़ घंटे की सुनवाई के बाद मामले पर आदेश सुरक्षित रख लिया है.
26 सितंबर को हुई पिछली सुनवाई में चीफ जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की बेंच ने एनसीआर क्षेत्र के लाइसेंस प्राप्त पटाखा उत्पादकों को तय मानकों के मुताबिक ग्रीन पटाखों के निर्माण की अनुमति दी थी. कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा था कि वह सभी पक्षों से बात कर दिल्ली-एनसीआर में पटाखों की बिक्री पर समाधान निकाले. शुक्रवार (10 अक्टूबर, 2025) को केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता कोर्ट में पेश हुए. उन्होंने कोर्ट में यह सुझाव रखे :-
- NEERI और PESO से प्रमाणित ग्रीन पटाखों की बिक्री की अनुमति दी जाए
- पटाखे के डिब्बे पर इस तरह विवरण दर्ज हो कि उनके प्रमाणित होने की पुष्टि हो सके
- लड़ी वाले पटाखों के निर्माण, बिक्री और इस्तेमाल पर पाबंदी जारी रहे
- PESO और NEERI पटाखों के उत्पादन की जगह की नियमित जांच कर सिर्फ सही फार्मूले से ग्रीन पटाखों का निर्माण सुनिश्चित करें
- दीपावली, गुरु पर्व और क्रिसमस पर ग्रीन पटाखों की इजाजत दी जाए
- त्योहार पर पटाखे चलाने के लिए समय सीमा की पाबंदी न रखी जाए ताकि बच्चे और दूसरे लोग उत्सव का आनंद ले सकें
क्या है मामला?
वायु प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के सख्त आदेशों के चलते दिल्ली सरकार ने इस साल पटाखों के निर्माण, भंडारण और बिक्री पर पूर्ण पाबंदी लगा दी थी. ऐसी ही रोक एनसीआर के दूसरे शहरों के लिए यूपी और हरियाणा सरकार ने लगाई है. कई पटाखा कारोबारियों ने इसे चुनौती दी है. उनका कहना है कि उनके पास वैध लाइसेंस है, लेकिन उन्हें रद्द किया जा रहा है.
2017 के आदेश का हवाला
याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि साल 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने पुराने पटाखों को हटा कर ग्रीन क्रैकर्स को अनुमति देने की बात कही थी. कोर्ट के इस आदेश पर ही नेशनल इनवायरमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (NEERI) ने कम प्रदूषण करने वाले ग्रीन पटाखों का फॉर्मूला बनाया. पेट्रोलियम एंड एक्सप्लोसिव सेफ्टी ऑर्गनाइजेशन (PESO) ने इस फॉर्मूले का पालन करने वाले उत्पादकों को लाइसेंस दिया.
कोर्ट के सवाल
सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने पूछा कि साल 2018 में जब पटाखों पर रोक लगी थी, तब से अब तक क्या AQI में कमी आई है. इसके जवाब में तुषार मेहता ने बताया कि यह लगभग पहले जैसा ही है. सिर्फ कोविड के दौरान वायु गुणवत्ता सुधरी थी, लेकिन उसके दूसरे कारण थे. कुछ और वकीलों ने कहा कि पराली, वाहन प्रदूषण जैसी बातों की उपेक्षा कर सिर्फ पटाखों को निशाना बनाना गलत है.
सीमित उत्पादन और बिक्री के संकेत
बेंच के सदस्य जस्टिस चंद्रन ने कहा कि NEERI और PESO ने सिर्फ 49 उत्पादकों को सर्टिफिकेट दिया है. इस पर सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि सिर्फ इन्हीं 49 को उत्पादन की अनुमति दी जाए, लेकिन बच्चों को त्योहार पर खुश होने का मौका दिया जाए. पटाखा उत्पादकों के लिए पेश वरिष्ठ वकील के परमेश्वर ने कहा कि उत्पादक दिल्ली में सिर्फ 25-30 थोक विक्रेताओं को ही पटाखे देंगे. इससे भी गलत पटाखों की बिक्री पर नियंत्रण रखा जा सकता है.
‘कई शहरों पर लगी रोक’
पटाखा उत्पादकों के लिए पेश एक अन्य वकील जे साईं दीपक ने कहा कि सिर्फ एक शहर, दिल्ली की समस्या के चलते हरियाणा के 14, यूपी के 8 और राजस्थान के 2 शहरों में पटाखों पर बैन लग गया. इन राज्यों को सुना भी नहीं गया. इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि वह इसके पक्ष में नहीं हैं. सभी शहरों के लिए एक जैसी नीति होनी चाहिए.
एक से ज्यादा दिन के लिए मिल सकती है अनुमति
सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल समेत कुछ वकीलों ने कहा कि दीपावली सिर्फ एक दिन का त्योहार नहीं है. उत्सव मनाने का समय भी लोगों के लिए अलग होता है. ग्रीन पटाखों की अनुमति देते समय कोर्ट इस बात को भी ध्यान में रखे. जजों ने कहा कि वह इस बात पर गौर करेंगे.


