दिल्ली हाईकोर्ट ने जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार और स्टाफ सेलेक्शन कमीशन को नोटिस जारी किया है. यह याचिका उस अधिसूचना को चुनौती देती है, जिसमें सोशल मीडिया पर SSC की परीक्षाओं के प्रश्नपत्रों पर चर्चा, विश्लेषण या साझा करने पर रोक लगाई गई है.
दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डी.के. उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की बेंच ने केंद्र सरकार और SSC से जवाब मांगते हुए मामले की अगली सुनवाई नवंबर में तय की है. यह याचिका इंजीनियर विकास कुमार मिश्रा ने दायर की है.
स्टाफ सलेक्शन कमीशन ने जारी किया था नोटिफिकेशन
दिल्ली हाई कोर्ट में दाखिल याचिका के मुताबिक, SSC की 8 सितंबर की अधिसूचना के मुताबिक किसी भी कंटेंट क्रिएटर, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म या व्यक्ति को परीक्षा के प्रश्नपत्रों या उनके कंटेंट पर चर्चा या विश्लेषण करने की अनुमति नहीं होगी. ऐसा करने वालों पर सार्वजनिक परीक्षाओं (अनुचित साधनों की रोकथाम) एक्ट 2024 के तहत कार्रवाई की चेतावनी दी गई है.
दिल्ली हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस ने की अहम टिप्पणी
दिल्ली हाई कोर्ट ने सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि यह रोक केवल पहले से आयोजित परीक्षाओं के प्रश्नपत्रों पर चर्चा से जुड़ी है, जो किसी अनुचित साधन की श्रेणी में नहीं आती. इस पर दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने टिप्पणी करते हुए कहा कि भला यह कैसी रोक है. स्कूल के समय परीक्षा के बाद पहला काम तो यही होता था कि बच्चे आपस में पेपर पर चर्चा करते थे. ऐसी चर्चा पर रोक कैसे लगाई जा सकती है.
दिल्ली हाई कोर्ट से नोटिफिकेशन पर रोक लगाने की मांग
दिल्ली हाई कोर्ट में दाखिल याचिका में कहा गया है कि यह अधिसूचना नागरिकों की अभिव्यक्ति की आजादी यानी आर्टिकल-19 का उल्लंघन करती है, इसे असंवैधानिक घोषित किया जाना चाहिए. याचिकाकर्ता ने दिल्ली हाईकोर्ट में दलील दी कि उन्होंने 14 सितंबर को SSC को इस संबंध में आपत्ति भेजी थी, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला. ऐसे में याचिकाकर्ता ने दिल्ली हाई कोर्ट से गुहार लगाई है कि इस अधिसूचना को रद्द किया जाए.
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