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तीन महीने में OTT प्लेटफॉर्म्स के लिए दिव्यांगों की सुविधा संबंधी गाइडलाइन तैयार करे सरकार
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तीन महीने में OTT प्लेटफॉर्म्स के लिए दिव्यांगों की सुविधा संबंधी गाइडलाइन तैयार करे सरकार

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दिल्ली हाई कोर्ट ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के इस दलील को रिकॉर्ड पर लिया कि वह सुनने और देखने में अक्षम लोगों के लिए OTT प्लेटफॉर्म्स पर एक्सेसिबिलिटी गाइडलाइन अगले तीन महीनों में अंतिम रूप देगा. केंद्र सरकार के वकील ने कोर्ट को बताया कि मंत्रालय ने इन गाइडलाइनों का ड्राफ्ट अपनी वेबसाइट पर जारी कर दिया है और जनता और स्टेकहोल्डर्स से सुझाव मांगे हैं.

दिल्ली हाई कोर्ट में जस्टिस सचिन दत्ता ने इन्फॉर्मेशन और ब्रॉडकास्टिंग मंत्रालय के लिखित आश्वासन के आधार पर याचिका का निपटारा करते हुए कहा कि मंत्रालय ने भरोसा दिलाया है कि याचिकाकर्ताओं के सुझावों पर विचार किया जाएगा और तीन महीने के भीतर अंतिम गाइडलाइन जारी की जाएगी.

दिव्यांग याचिकाकर्ताओं ने दाखिल की अर्जी

दिल्ली हाई कोर्ट में यह याचिका दृष्टिहीन व्यक्तियों ने दायर की थी. उन्होंने कहा था कि हाल में रिलीज हुई कई बॉलीवुड फिल्में ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर दिव्यांग अनुकूल सुविधाओं, जैसे ऑडियो डिस्क्रिप्शन, क्लोज्ड कैप्शन या साइन लैंग्वेज इंटरप्रिटेशन के बिना जारी की जा रही हैं. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने मंत्रालय को राइट ऑफ पर्सन विद डिसएबिलिटी एक्ट 2016 के अनुरूप गाइडलाइन तैयार करने के निर्देश दिए थे. 

दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि ड्राफ्ट गाइडलाइन तैयार करते समय मंत्रालय ने फिल्म और ओटीटी उद्योग से तो राय ली, लेकिन दिव्यांग लोगों से परामर्श नहीं किया, जबकि वे इस प्रक्रिया के सबसे जरूरी हितधारक हैं.

याचिकाकर्ताओं को फीडबैक देने की छूट

दिल्ली हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को ड्राफ्ट पर अपना फीडबैक देने की छूट दी और कहा कि यदि उन्हें कोई आपत्ति हो तो वे कानूनी रास्ता अपना सकते हैं. केंद्र सरकार की ओर से जो ड्राफ्ट तैयार किया गया है उसका टाइटल ‘Guidelines for Accessibility of Content on OTT Platforms for Persons with Hearing and Visual Impairment’ है. इस पर सुझाव 22 अक्टूबर तक मांगे गए हैं.

गाइडलाइन के मुतबिक, OTT प्लेटफॉर्म्स को अपने नए कंटेंट में छह महीने के भीतर कम से कम एक सुविधा जैसे क्लोज्ड ओपन कैप्शन, ऑडियो डिस्क्रिप्शन या इंडियन साइन लैंग्वेज शामिल करनी होगी. हालांकि ये गाइडलाइन लाइव इवेंट्स, पॉडकास्ट, म्यूजिक या विज्ञापनों पर लागू नहीं होंगी.

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