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भारत ने बढ़ा दी PAK-चीन की टेंशन! 79000 करोड़ से सेना के लिए तबाही मचाने वाले हथियार खरीद को दी
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भारत ने बढ़ा दी PAK-चीन की टेंशन! 79000 करोड़ से सेना के लिए तबाही मचाने वाले हथियार खरीद को दी

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भारत ने सेना की लड़ाकू क्षमताओं को बढ़ाने के लिए नाग मिसाइलों, युद्धक जहाजों और इलेक्ट्रॉनिक खुफिया एवं निगरानी प्रणालियों सहित 79,000 करोड़ रुपये के हथियार और सैन्य साजो-सामान खरीदने के प्रस्तावों को बृहस्पतिवार को मंजूरी दे दी. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में रक्षा खरीद परिषद (डीएसी) की बैठक में खरीद प्रस्तावों को मंजूरी दी गई. ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद खरीद पर यह दूसरा बड़ा फैसला है. पांच अगस्त को 67,000 करोड़ रुपये की खरीद परियोजनाओं को मंजूरी दी गई.

क्या कहा रक्षा मंत्रालय ने?
रक्षा मंत्रालय ने कहा कि डीएसी ने लगभग 79,000 करोड़ रुपये की कुल लागत के विभिन्न प्रस्तावों को मंजूरी दी. भारतीय नौसेना के लिए, लैंडिंग प्लेटफॉर्म डॉक्स (एलपीडी), 30 मिमी नेवल सरफेस गन (एनएसजी), एडवांस्ड लाइट वेट टॉरपीडो (एएलडब्ल्यूटी), इलेक्ट्रो ऑप्टिकल इन्फ्रा-रेड सर्च एंड ट्रैक सिस्टम और 76 मिमी सुपर रैपिड गन माउंट के लिए गोला-बारूद की खरीद को मंजूरी दी गई. एलपीडी की खरीद से भारतीय नौसेना को भारतीय सेना और भारतीय वायु सेना के साथ जल-थल अभियानों को अंजाम देने में मदद मिलेगी.

एलपीडी द्वारा प्रदान की गई एकीकृत समुद्री क्षमता भारतीय नौसेना को शांति अभियानों, मानवीय सहायता और आपदा राहत में भी मदद करेगी. बयान में कहा गया, ‘डीआरडीओ की नौसेना विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी प्रयोगशाला द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित एएलडब्ल्यूटी को शामिल करने से पारंपरिक, परमाणु और छोटी पनडुब्बियों को निशाना बनाया जा सकेगा.’ इसमें कहा गया कि 30 मिमी एनएसजी की खरीद से भारतीय नौसेना और भारतीय तटरक्षक बल की कम तीव्रता वाले समुद्री अभियानों और समुद्री डकैती विरोधी भूमिकाओं को निभाने की क्षमता में वृद्धि होगी.

किन हथियारों को दी गई स्वकृति?
भारतीय सेना के लिए नाग मिसाइल सिस्टम (ट्रैक्ड) एमके-दो (एनएएमआईएस), ग्राउंड बेस्ड मोबाइल ईएलआईएनटी सिस्टम (जीबीएमईएस) और मैटेरियल हैंडलिंग क्रेन सहित हाई मोबिलिटी व्हीकल्स (एचएमवी) की खरीद को लेकर स्वीकृति प्रदान की गई. एनएएमआईएस (ट्रैक्ड) की खरीद से भारतीय सेना की दुश्मन के लड़ाकू वाहनों, बंकरों और अन्य क्षेत्रीय किलेबंदी को निष्क्रिय करने की क्षमता बढ़ेगी, जबकि जीबीएमईएस दुश्मन के उत्सर्जकों की चौबीसों घंटे इलेक्ट्रॉनिक खुफिया जानकारी प्रदान करेगा. एचएमवी के शामिल होने से विविध भौगोलिक क्षेत्रों में सेनाओं की रसद सहायता में उल्लेखनीय सुधार होगा.

वायु सेना के लिए, समन्वित लंबी दूरी लक्ष्य संतृप्ति/विनाश प्रणाली (सीएलआरटीएस/डीएस) और अन्य प्रस्तावों के लिए मंजूरी दी गई. सीएलआरटीएस/डीएस में मिशन क्षेत्र में स्वचालित टेक-ऑफ, लैंडिंग, नेविगेशन, पता लगाने और पेलोड पहुंचाने की क्षमता है.



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