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ड्रैगन झुका, पर भारत अडिग! ट्रंप की टैरिफ धमकी का ‘हाथी’ पर नहीं चला जोर, जानें वजह
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ड्रैगन झुका, पर भारत अडिग! ट्रंप की टैरिफ धमकी का ‘हाथी’ पर नहीं चला जोर, जानें वजह

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अमेरिका और चीन के बीच महीनों से चल रही टैरिफ जंग अब कम होती नजर आ रही है. दक्षिण कोरिया के बुसान शहर में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात के बाद दोनों देशों ने बड़ी प्रगति की है.

बैठक में तय हुआ कि अमेरिका चीन पर लगाए गए टैरिफ को 20% से घटाकर 10% करेगा. बदले में चीन ने अवैध फेंटानिल ड्रग्स पर कार्रवाई करने, अमेरिकी सोयाबीन की खरीद फिर से शुरू करने और रेयर अर्थ मेटल्स के निर्यात को जारी रखने का वादा किया. यह दोनों नेताओं की 2019 के बाद पहली आमने-सामने मुलाकात थी, लेकिन जहां चीन ने समझौते के लिए कुछ रियायतें दीं, वहीं भारत पर ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी अब तक असरदार नहीं साबित हुई है.

भारत ने कहा – ‘हम दबाव में नहीं, भरोसे पर सौदा करेंगे’
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा था कि भारत और अमेरिका ट्रेड डील के बहुत करीब हैं, लेकिन भारत ने साफ कहा है कि वह किसी दबाव या डेडलाइन में आकर कोई समझौता नहीं करेगा. भारत के वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने जर्मनी में एक कार्यक्रम के दौरान कहा, ‘भारत किसी सौदे को जल्दबाजी में या ‘सिर पर बंदूक रखकर’ नहीं करता. हमारे लिए व्यापार समझौते भरोसे और दीर्घकालिक साझेदारी पर आधारित होते हैं.’ गोयल ने अमेरिका द्वारा रूसी तेल कंपनियों रोजनेफ्ट और लुकोइल पर लगाए गए प्रतिबंधों की आलोचना करते हुए कहा कि जब जर्मनी और ब्रिटेन को छूट दी गई है, तो भारत को क्यों निशाना बनाया जा रहा है?

ट्रेड डील क्यों अटकी है?
भारत और अमेरिका के बीच मार्च 2025 से व्यापार समझौते पर बातचीत चल रही है. लेकिन पांच दौर की बैठकों के बाद भी मामला कृषि और डेयरी क्षेत्र पर आकर अटक गया है. अमेरिका चाहता है कि भारत अपने बाजारों को अमेरिकी कृषि और डेयरी उत्पादों के लिए खोले, लेकिन भारत ने इससे इंकार किया है. भारत का कहना है कि अमेरिकी उत्पादों में जेनेटिकली मॉडिफाइड (GMO) चीजें और पशु-आधारित चारा इस्तेमाल होता है, जो भारत की संस्कृति और स्वास्थ्य हितों के खिलाफ है. इसके बाद ट्रंप ने भारत पर 50% तक टैरिफ और रूसी तेल खरीदने पर 25% अतिरिक्त शुल्क लगा दिया, लेकिन भारत ने झुकने से साफ मना कर दिया.

भारत दबाव में नहीं झुकेगा
पीयूष गोयल ने कहा कि भारत किसी भी समझौते को राजनीतिक टाइमलाइन या अमेरिकी धमकियों के आधार पर नहीं करेगा. ‘अगर सौदा दोनों देशों के लिए फायदेमंद होगा तो जरूर करेंगे, लेकिन दबाव या डेडलाइन में नहीं.’ भारत ने अमेरिकी टैरिफ के झटकों से बचने के लिए अपने व्यापार को विविध बनाया और घरेलू मांग को मजबूत किया है.

चीन झुका, भारत डटा रहा
जहां चीन ने ट्रंप के दबाव में कुछ कदम पीछे लिए, वहीं भारत अब भी अपनी शर्तों पर कायम है. चीन के पास रेयर अर्थ मेटल्स की सप्लाई और अमेरिकी सोयाबीन खरीद जैसे बड़े सौदेबाजी के हथियार हैं, लेकिन भारत के पास ऐसी ताकत नहीं होने के बावजूद उसने अपने सिद्धांतों पर समझौता करने से इनकार किया है. भारत और अमेरिका के बीच नवंबर तक डील होने की बात कही जा रही है, लेकिन भारत ने साफ कर दिया है कि कोई भी समझौता दबाव या जल्दबाजी में नहीं किया जाएगा.



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