बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में जहां एक ओर युवा नेताओं और नए चेहरों को जगह देने की बात चल रही थी, वहीं कई पुराने और अनुभवी नेता फिर से सक्रिय हो गए हैं. इस बार 14 पूर्व सांसद चुनावी मैदान में अलग-अलग दलों की टिकट पर उतरे हुए हैं. इसने पूरे चुनावी माहौल को और रोमांचक बना दिया है. JDU ने सबसे ज्यादा 5, RJD ने 4, BJP और जनसुराज ने दो-दो, जबकि AIMIM ने एक पूर्व सांसद पर भरोसा जताया है. सियासी गलियारों में चर्चा है कि इस बार दलों ने अनुभव और जनाधार को सबसे बड़ी पूंजी के रूप में देखा है.
भाजपा ने अपने दो पूर्व सांसदों को फिर से चुनावी रण में भेजा है. दानापुर से रामकृपाल यादव मैदान में हैं, जो पहले पाटलिपुत्र लोकसभा सीट से सांसद रह चुके हैं. पार्टी को उम्मीद है कि उनकी लोकप्रियता इस बार विधानसभा में जीत का रास्ता खोलेगी. दूसरी ओर, सीतामढ़ी से सुनील पिंटू को उम्मीदवार बनाया गया है. उन्होंने पहले जदयू के टिकट पर जीत दर्ज की थी, लेकिन बाद में भाजपा से जुड़ गए. अब वही सीट उनके राजनीतिक भविष्य का नया परीक्षण बन गई है.
JDU की रणनीति में अनुभव सबसे आगे
नीतीश कुमार की अगुवाई वाली JDU ने इस बार सबसे अधिक पूर्व सांसदों पर भरोसा जताया है. पार्टी के लिए यह चुनाव संगठन की मजबूती और जनाधार के विस्तार का अवसर माना जा रहा है. जहानाबाद, गोपालपुर, काराकाट, कदवा और समस्तीपुर से उतारे गए उम्मीदवारों का अतीत सशक्त राजनीतिक अनुभव से भरा है. इन नामों के जरिये JDU यह संदेश देना चाहती है कि उसकी राजनीति सिर्फ गठबंधन पर नहीं, बल्कि स्थानीय जनसंपर्क और भरोसे पर आधारित है.
RJD ने पूर्व सांसदों को दिया मौका
राष्ट्रीय जनता दल ने भी अपने पुराने दिग्गजों पर भरोसा दोहराया है. झाझा, मोकामा, बिहारीगंज और धमदाहा से उतारे गए उम्मीदवार पहले संसद में रह चुके हैं और जनता के बीच उनकी मजबूत पकड़ है. पार्टी नेतृत्व का मानना है कि इन चेहरों के अनुभव और स्थानीय प्रभाव से संगठन को स्थायित्व मिलेगा. इस बार राजद की रणनीति साफ है परंपरा और लोकप्रियता के सहारे सत्ता में वापसी का रास्ता बनाना.
जनसुराज और AIMIM की अलग राह
बिहार की राजनीति में नई ऊर्जा के साथ उभर रही जनसुराज पार्टी ने भी पूर्व सांसदों पर दांव लगाया है. अररिया से सरफराज आलम और गया टाउन से धीरेंद्र अग्रवाल को उम्मीदवार बनाया गया है. गया में मुकाबला दिलचस्प हो गया है क्योंकि भाजपा के प्रेम कुमार और जनसुराज के अग्रवाल के बीच सीधा संघर्ष दिख रहा है. AIMIM ने मुंगेर से मोनाजिर हसन को टिकट दिया है, जो पहले वहां के सांसद रह चुके हैं और स्थानीय स्तर पर मजबूत प्रभाव रखते हैं.
पुराना अनुभव बनाम नया जोश
बिहार चुनाव 2025 में इस बार का मुख्य प्रश्न यही है कि जनता अनुभव पर भरोसा करेगी या नए चेहरों को मौका देगी. सभी दलों ने इस बार युवाओं और दिग्गजों का मिश्रण तैयार किया है. पुराने सांसद अपने अनुभव को पूंजी मानते हैं, जबकि नए उम्मीदवार जनता से बदलाव की अपील कर रहे हैं. राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि बिहार की जनता इस बार सिर्फ वादों से नहीं, बल्कि काम के रिकॉर्ड पर अपना निर्णय करेगी.
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