लोकसभा सांसद और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने सीमांचल के एक जनसभा में देश और क्षेत्रीय मुद्दों पर बड़ा बयान दिया. उन्होंने लोगों से शांतिपूर्ण, संगठित और जागरूक तरीके से अपने हक के लिए खड़ा होने की अपील की.
ओवैसी ने कहा कि कुछ लोग सीमांचल का नाम लेकर समुदायों को अलग-थलग करने की कोशिश करते हैं, पर यहां की हर मां, बच्चा और बुजुर्ग भारत का ही नागरिक है. उन्होंने केंद्र की नीतियों और हालिया कानूनों पर कड़ा विरोध जताया और कहा कि वे प्रदेश और समुदाय के अधिकारों की रक्षा करेंगे. ओवैसी ने यह भी कहा कि अगर किसी ने वोट लेकर लोगों के अधिकार नहीं दिलाए तो उन्हें बदलना होगा.
सीमांचल के लोगों से क्या बोले ओवैसी?
ओवैसी ने कहा कि सीमांचल के लोगों को बाहरी बताकर बदनाम किया जा रहा है; यह गलत है और हर व्यक्ति भारत का नागरिक है. उन्होंने उन कानूनों की निंदा की जिन्हें वह समुदायों की संपत्ति और धार्मिक संस्थानों के लिए खतरा मानते हैं. ओवैसी ने स्थानीय विकास की कमी की ओर ध्यान दिलाया- बिजली, अस्पताल, पुल और अन्य बुनियादी सुविधाओं की समस्या उठाईं. उन्होंने कहा कि बार-बार सरकारें बदलने के बावजूद विकास नहीं हुआ.
ओवैसी ने कहा, “मेरे अजीज दोस्तों बुजुर्गों आप जानते हैं किस का पैगाम ये है कि भारत की सबसे बड़ी अकलियत मुसलमान है और बिहार में 19% मुसलमान है और मजलिस का मानना ये है कि अगर भारत के मुसलमानों को और बिहार के मुसलमानों को अगर वो इंसाफ चाहती है तो उनको अपनी एक सियासी लीडरशिप को बनाना पड़ेगा. अगर वो ये चाहती हैं कि उनका हक उनको मिले तो उनको अपनी सियासी लीडरशिप बनाना पड़ेगा. अगर वो चाहती हैं कि हुकूमत की मुलाजिमतों में उनको उनका हिस्सा मिले तो उनको अपनी सियासी लीडरशिप बनाना पड़ेगा.”
ओवैसी ने लोगों से की ये अपील
उन्होंने लोगों से सिर्फ नारों तक सीमित न रहने की अपील की; मतदान के दिन एक साथ मिलकर सही प्रत्याशी को वोट देकर ही असली बदलाव आएगा. ओवैसी ने नौजवानों को खास तौर पर सक्रिय होने और राजनीतिक नेतृत्व बनाने का संदेश दिया. वेदा ने भ्रष्टाचार और अनियमितताओं का जिक्र करते हुए लोकल अफसरों व कार्यालयों में पारदर्शिता की मांग की. उन्होंने चुनावी संदेश के तौर पर मजलिस के चुनाव चिन्ह (पतंग छाप) पर वोट देने का आह्वान किया और कहा कि संगठित वोटिंग से ही क्षेत्रीय आवाज को असर दिखेगा.
ओवैसी ने आश्वासन दिया कि अगर जनता संगठित होगी तो सीमांचल के लोगों को शहरों वाले जितने अधिकार और सुविधाएं मिल सकेंगी. उन्होंने लोगों से संयम और शांतिपूर्ण तरीके से अपने हक की लड़ाई लड़ने को कहा और अंत में उपस्थित समर्थन कर्ताओं को एकजुट रहने के लिए धन्यवाद दिया.
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