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जासूसी मामले में गिरफ्तार आरोपी आदिल ने कबूला सच, कहा- ‘परमाणु संबंधी डिजाइन और डेटा को बेचा’
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जासूसी मामले में गिरफ्तार आरोपी आदिल ने कबूला सच, कहा- ‘परमाणु संबंधी डिजाइन और डेटा को बेचा’

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दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की रिमांड में आरोपी आदिल ने कबूला कि वो और उसका भाई खुद को मुंबई स्थित भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC) का वैज्ञानिक बताते थे. आदिल ने खुलासा किया कि उसके गिरोह के तार पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI के हैंडलर्स और ईरान की परमाणु एजेंसी से जुड़े हुए है.

सूत्रों की मानें तो पूछताछ के दौरान आरोपी आदिल ने बताया कि उसने एक रूसी वैज्ञानिक से परमाणु संबंधी कुछ डिजाइन और डाटा हासिल किए थे. उसने ये डिजाइन कथित रूप से ईरान के एक वैज्ञानिक को बेच दिए थे. ये दावा अब देश की खुफिया एजेंसियां अपने स्तर पर वेरिफाई कर रही है क्योंकि मामला सीधे राष्ट्रीय सुरक्षा और परमाणु तकनीक से जुड़ा है.

आरोपी का संबंध ईरान, रूस और पाकिस्तान के जासूसी नेटवर्क से बताया जा रहा है. स्पेशल सेल के मुताबिक, आदिल कई फर्जी नामों से काम कर रहा था. जिनमें सैयद आदिल हुसैन, मोहम्मद आदिल हुसैनी और नसीमुद्दीन शामिल है. उसके पास से कई जाली पासपोर्ट, फर्जी पहचान पत्र के साथ साथ कई संवेदनशील दस्तावेज बरामद किए गए हैं.

स्पेशल सेल की जांच में अब तक क्या हुआ खुलासा?

स्पेशल सेल की अब तक की जांच में सामने आया है कि आदिल और उसका भाई अख्तर हुसैनी ने भाभा सेंटर के 3 फर्जी आईडी कार्ड भी बनवाएं थे. जिनके जरिए एंट्री करने की फिराक में भी थे. लेकिन अभी तक दोनों भाई सेंटर में नहीं जा सके है. हालांकि, आरोपी अख्तर भाभा का लोगो भी फर्जी तरीके से इस्तेमाल करता था.

सूत्रों की मानें तो फर्जी पासपोर्ट के जरिए खाड़ी देशों की यात्रा कर चुके है और वहां कई लोगों से सुरक्षा जानकारियां देने का ऑफर भी कर चुके थे. दोनों भाइयों पर फर्जी आईडी के जरिए कई बार खाड़ी देशों की यात्रा करने के आरोप है और ईरान और रूस के एजेंटों को परमाणु-संबंधी डिजाइन और गोपनीय जानकारी बेचने के भी आरोप है.

आरोपी ने संवेदनशील जानकारियां विदेश भेजने की बात कबूली

गिरफ्तार आरोपी आदिल हुसैनी ने स्वीकार किया है कि उसने और उसके भाई ने फर्जी पहचान बनाकर संवेदनशील जानकारियां विदेशों में भेजी थी. उसके पास से जाली दस्तावेज और पासपोर्ट मिले हैं. सूत्रों के मुताबिक, आदिल हुसैनी कई सालों तक दुबई में रह चुका है. दोनों ने फर्जी दस्तावेजों और जानकारियां देकर जो पैसे मिले उससे दुबई में कुछ संपत्तियों में भी निवेश किया है.

पुलिस सूत्रों के मुताबिक, इस नेटवर्क में एक कैफे संचालक भी शामिल है. जिसे हिरासत में लिया गया है. इस नेटवर्क से जुड़े गिरोह के कुछ और सदस्य अभी पुलिस से गिरफ्त से दूर है और उनकी तलाश में पुलिस लगातार छापेमारी कर रही है.

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