इनवेस्टमेंट प्लेटफॉर्म ग्रो ने सेबी के पास अपडेटेड ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (डीआरएचपी) फाइल कर दिया है। ग्रो देश की सबसे बड़ी ब्रोकरेज फर्मों में से एक है। आइए ग्रो के डीआरएचपी के बारे में 5 सबसे अहम बातें जानते हैं:
1. स्ट्रॉन्ग यूजर बेस
ग्रो ने बताया है कि 30 जून, 2025 को उसके ट्रांजेक्टिव यूजर्स की संख्या 1.8 करोड़ थी। जून 2024 से जून 2025 के बीच कंपनी ने 94.5 लाख नए डीमैट अकाउंट्स ओपन किए। यह इस दौरान देश में खोले गए कुल नए डीमैट अकाउंट्स का 25.8 फीसदी है। इस दौरान नए एनएसई के एक्टिव यूजर्स में ग्रो प्लेटफॉर्म की हिस्सेदारी 25.8 फीसदी रही।
ग्रो के आईपीओ में नए शेयर जारी करने के साथ ही ऑफर फॉर सेल (ओएफएस) भी होगा। कंपनी 1,060 करोड़ रुपये मूल्य के नए शेयर जारी करेगी। साथ ही प्रमोटर्स ओएफएस के तहत 57.42 करोड़ शेयर बेचेंगे। कंपनी 212 करोड़ रुपये के प्री-आईपीओ प्लेसमेंट पर भी विचार कर सकती है।
3. रेवेन्यू और प्रॉफिट में इजाफा
FY25 में ब्रोकरेज फर्म का ऑपरेशंस से रेवेन्यू बढ़कर 3,901.7 करोड़ रुपये पहुंच गया। यह FY23 में 1,141.5 करोड़ रुपये था। कंपनी का टैक्स बाद प्रॉफिट 2025 में 1,824.3 करोड़ रुपये रहा। कंपनी का FY26 की पहली तिमाही में रेवेन्यू 904.3 करोड़ रुपये था। FY25 में एक्विट क्लाइंट ग्रोथ 35.5 फीसदी रही, जो दूसरी ब्रोकरेज फर्मों के मुकाबले ज्यादा है।
4. मार्जिन हाई लेवल पर
ब्रोकरेज फर्म का कंट्रिब्यूशन मार्जिन FY25 में 85 फीसदी से ज्यादा रहा। FY26 की पहली तिमाही में PAT मार्जिन 40 फीसदी के करीब रहा। एवरेज रेवेन्यू प्रति यूजर FY25 में 13,702 करोड़ रुपये रहा। कंपनी ने कहा है कि उसके डिजिटल आधारित मॉडल की वजह से रेवेन्यू में एडजस्टेड ऑपरेटिंग कॉस्ट फीसदी के रूप में घटी है।
5. नियमों में बदलाव का बिजनेस पर असर
डीआरएचपी में कहा गया है कि सेबी के नियमों में बदलाव करने का असर ग्रो के बिजनेस पर पड़ा है। इनमें ‘ट्रू टू लेबल’ रिक्वायरमेंट और F&O पर लगाया गया अंकुश शामिल हैं। FY26 की पहली तिमाही में साल दर साल आधार पर एक्टिव डेरिवेटिव यूजर्स की संख्या 28 फीसदी घटी है।
6. आईपीओ में प्रमोटर के हिस्से की बिक्री
अभी ग्रो में प्रमोटर्स की हिस्सेदारी 27.97 फीसदी है। प्रमोटर्स आईपीओ में कुल शेयरों का सिर्फ 0.07 फीसदी बेचेंगे। कंपनी के यूजर्स में अमीर यूजर्स की हिस्सेदारी बढ़ रही है। जून 2025 में टोटल कस्टमर एसेट्स में उनकी हिस्सेदारी 33.2 फीसदी थी। यह FY23 में 20.3 फीसदी के मुकाबले काफी ज्यादा है।
7. कंपनी के बिजनेस के लिए रिस्क
ग्रो ब्रोकिंग, एनबीएफसी लेंडिंग और मार्जिन फंडिंग सर्विसेज ऑफर करती है। इससे सेबी और आरबीआई के नियमों में बदलाव करने पर उसका असर कंपनी के बिजनेस पर पड़ सकता है। कंपनी के रेवेन्यू में डेरिवेटिव की बड़ी हिस्सेदारी है। जून 2024 से जून 2025 के बीच पूरी ब्रोकिंग इंडस्ट्री में डेरिवेटिव टर्नओवर 38 फीसदी घटा है। FY26 की पहली तिमाही में साल दर साल आधार पर ऑपरेशन से रेवेन्यू में 10 फीसदी गिरावट आई।


