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Groww IPO: इंडिया की सबसे बड़ी ब्रोकरेज फर्म का आईपीओ खुला, क्या आपको निवेश करना चाहिए?
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Groww IPO: इंडिया की सबसे बड़ी ब्रोकरेज फर्म का आईपीओ खुला, क्या आपको निवेश करना चाहिए?

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ग्रो का आईपीओ 4 नवंबर को खुल गया है। क्लाइंट्स की संख्या के लिहाज से ग्रो भारत की सबसे बड़ी ब्रोकरेज फर्म है। ग्रो के एक्टिव यूजर्स की संख्या 1.12 करोड़ है। एंजल वन की 76 लाख और मोतीलाल ओसवाल की 10 लाख है। ग्रो के क्लाइंट्स की संख्या तेजी से बढ़ रही है। ग्रो की एक्टिव क्लाइंट्स की ग्रोथ साल दर साल आधार पर 35.5 फीसदी रही है। यह एंजल वन (24 फीसदी) और मोतीलाल ओसवाल (15.4 फीसदी) जैसी प्रतिद्वंद्बी ब्रोकरेज फर्मों के मुकाबले ज्यादा है।

टोटल कस्टमर्स एसेट्स प्रतिद्वंद्वी कंपनियों से कम

वेल्थ मैनेजमेंट में ग्रो की प्रतिद्वंद्वी कंपनियों की बात की जाए तो 360 One WAM, Nuvama Wealth Management और Prudent Corporate Advisory Services की क्लाइंट ग्रोथ सुस्त या निगेटिव रही है। सबसे ज्यादा क्लाइंट्स होने के बावजूद ग्रोथ का टोटल कस्टमर एसेट्स 2.16 लाख करोड़ रुपये है। 360 One WAM और मोतीलाल ओसवाल के कस्टमर्स एसेट्स क्रमश: 5.81 लाख करोड़ और 5.5 लााख करोड़ है। यह ग्रो के मुकाबले दोगुना से ज्यादा है।

ग्रो का प्रॉफिट बाद टैक्स 1,824 करोड़ रुपये

अगर फाइनेंशियल पोजीशन की बात की जाए तो FY25 में ऑपरेशंस से ग्रो का रेवेन्यू 3,902 करोड़ रुपये रहा, जबकि प्रॉफिट बाद टैक्स 1,824 करोड़ रुपये रहा। एंजल वन का रेवेन्यू 5,238 करोड़ और मोतीलाल ओसवाल का 8,339 करोड़ था। लेकिन, ग्रो की मुनाफा कमाने की क्षमता प्रतिद्वंद्वी ब्रोकरेज फर्मों से बेहतर है। कंपनी का प्रॉफिट मार्जिन भी 44.92 फीसदी है।

81 फीसदी ग्राहक टियर 2 और टियर 3 शहरों के

ग्रो ने अपने आरएचपी में कहा है कि जीरोधा, एंजल वन और अपस्टॉक्स जैसी डिजिटल फर्स्ट ब्रोकरेज फर्मों की रेवेन्यी ग्रोथ वेल्थ मैनेजमेंट प्लेयर्स के मुकाबले ज्यादा है। यह बैंकों की ब्रोकरेज फर्मों से भी ज्यादा है। ग्रो ने FY23-FY25 के बीच 83 फीसदी से ज्यादा यूजर्स बनाए हैं। इसमें रेफरल और प्रोडक्ट आधारित ग्रोथ का बड़ा हाथ है। खास बात यह कि कंपनी के 81 फीसदी ग्राहक टियर 2 और टियर 3 शहरों से आते हैं। 45 फीसदी यूजर्स 30 साल से कम उम्र के हैं।

लिस्टिंग गेंस की उम्मीद काफी कम

शेयरों के अपर प्राइस बैंड पर शेयर की कीमत FY25 के पीई की 33.8 गुना है। इससे लिस्टिंग के बाद कंपनी का मार्केट कैपिटलाइजेशन 61,736 करोड़ रुपये होगा। कुछ एनालिस्ट्स का कहना है कि ग्रो के शेयरों में लिस्टिंग गेंस की उम्मीद कम है। आनंद राठी का कहना है कि इनवेस्टर्स लंबी अवधि के लिए ग्रो के आईपीओ में बोली लगा सकते हैं।

क्या निवेश करना चाहिए?

एंजल वन ने कहा है कि ग्रो के शेयरों के प्राइस बैंड के 100 रुपये के ऊपरी लेवल पर इश्यू के बाद शेयरों का पी/ई 40.79 गुना है, जिसका मतलब है कि प्रतिद्वंद्वी कंपनियों के मुकाबले यह शेयर काफी महंगा है। ब्रोकरेज फर्म ने इसे ‘न्यूट्रल’ रेटिंग दी है। उसने कहा है कि लंबी अवधि के इनवेस्टर्स इस इश्यू में बोली लगा सकते हैं।



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