राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के 100 साल पूरे होने को लेकर बेंगलुरु में आयोजित 2 दिवसीय व्याख्यान श्रृंखला को आरएसएस चीफ प्रमुख मोहन भागवत ने संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि हम संपूर्ण हिंदू समाज को एकजुट करना और संगठित करना चाहते हैं ताकि वे एक समृद्ध और मजबूत भारत का निर्माण कर सकें.
मोहन भागवत ने रविवार (9 नवंबर) को कहा कि हम ऐसे हिंदू समाज का निर्माण करना चाहते हैं जो दुनिया को धर्म का ज्ञान प्रदान करे ताकि दुनिया खुश, आनंदित और शांतिपूर्ण हो. उन्होंने कहा कि कार्य का वह हिस्सा पूरे समाज और पूरे राष्ट्र द्वारा किया जाना है. हम हिंदू समाज को इसके लिए तैयार कर रहे हैं. हमारा एकमात्र विजन है, एकल विजन. उस विजन को पूरा करने के बाद हम कुछ और नहीं करना चाहते हैं.
हिंदू धर्म भी पंजीकृत नहीं है- भागवत
RSS चीफ ने कहा कि संपूर्ण हिंदू समाज को संगठित करना यह हमारा कार्य है. हम इसे पूरा करेंगे और संगठित समाज बाकी काम करेगा. हमारा मिशन, हमारी दृष्टि एक संगठित मजबूत हिंदू समाज है. संगठन के औपचारिक पंजीकरण न होने पर चल रही बहस को लेकर जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि कई चीजें पंजीकृत नहीं हैं यहां तक कि हिंदू धर्म भी पंजीकृत नहीं है.
‘क्या RSS को ब्रिटिश सरकार के पास पंजीकृत होना चाहिए था?’
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक मोहन भागवत ने आरएसएस को टैक्स छूट मामले पर दावा किया कि आयकर विभाग और अदालतों ने यह देखा है कि आरएसएस व्यक्तियों का एक समूह है इसलिए इसे टैक्स से छूट दी गई है. आरएसएस की स्थापना के 100 साल का जिक्र करते हुए उन्होंने आगे तर्क दिया कि क्या हमें आरएसएस को ब्रिटिश सरकार के पास पंजीकृत करवाना चाहिए था, क्योंकि इसकी स्थापना 1925 में हुई थी? 1947 में आजादी को लेकर भागवत ने कहा कि सरकार ने पंजीकरण कराना अनिवार्य नहीं बनाया था.
उन्होंने यह भी बताया कि आरएसएस पर पहले तीन बार प्रतिबंध लगाया जा चुका है, इसलिए सरकार ने हमें मान्यता दी है. उन्होंने तर्क दिया कि अगर हम नहीं थे, तो उन्होंने किस पर प्रतिबंध लगाया?
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