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जानें कौन हैं जस्टिस सूर्यकांत, जो बनेंगे देश के अगले चीफ जस्टिस
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जानें कौन हैं जस्टिस सूर्यकांत, जो बनेंगे देश के अगले चीफ जस्टिस

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चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) भूषण आर. गवई ने केंद्र सरकार से जस्टिस सूर्यकांत को अगला प्रधान न्यायाधीश नियुक्त करने की सिफारिश की है. वर्तमान सीजेआई के बाद सुप्रीम कोर्ट के दूसरे सबसे वरिष्ठ जज न्यायमूर्ति सूर्यकांत 24 नवंबर को देश के 53वें CJI के रूप में पदभार ग्रहण कर सकते हैं. 

सीजेआई गवई 23 नवंबर को रिटायर्ड होंगे. सूत्रों के अनुसार इस साल 14 मई को प्रधान न्यायाधीश के रूप में शपथ ग्रहण करने वाले न्यायमूर्ति गवई ने अगले प्रधान न्यायाधीश के रूप में केंद्रीय विधि मंत्रालय से न्यायमूर्ति सूर्यकांत के नाम की सिफारिश की है. न्यायमूर्ति सूर्यकांत का सीजेआई के रूप में कार्यकाल एक साल 2 महीने से अधिक होगा. वो 9 फरवरी 2027 में सेवानिवृत्त होंगे. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु 65 वर्ष है. 

सीजेआई गवई ने की न्यायमूर्ति सूर्यकांत की तारीफ
सीजेआई गवई ने अपनी सिफारिश में न्यायमूर्ति कांत को सभी पहलुओं में कमान संभालने के लिए उपयुक्त और सक्षम बताया है. उन्होंने साथ ही कहा कि दोनों की सामाजिक पृष्ठभूमि समान है, जो दृढ़ता और संघर्ष से परिपूर्ण है. गवई ने बताया, “मेरी तरह न्यायमूर्ति कांत भी समाज के उस वर्ग से आते हैं, जिसने जीवन के हर स्तर पर संघर्ष देखा है, जिससे मुझे विश्वास है कि वे उन लोगों के दर्द और पीड़ा को समझने के लिए सबसे उपयुक्त होंगे, जिन्हें अपने अधिकारों की रक्षा के लिए न्यायपालिका की आवश्यकता है.”

कौन हैं जस्टिस सूर्यकांत 
10 फरवरी 1962 को हरियाणा के हिसार में जन्मे न्यायमूर्ति सूर्यकांत का न्यायपालिका में सर्वोच्च पद तक पहुंचना उनकी शैक्षणिक उत्कृष्टता और प्रशासनिक कौशल को दर्शाता है. हिसार से ग्रेजुएट न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने 1984 में महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय, रोहतक से कानून की डिग्री प्राप्त की. उन्होंने 1985 में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट जाने से पहले उन्होंने हिसार जिला कोर्ट से अपना करियर शुरू किया था. 

उन्होंने संवैधानिक, सेवा और दीवानी मामलों में विशेषज्ञता हासिल की है. ​​उनकी कानूनी समझ और संतुलित वकालत ने उन्हें विश्वविद्यालयों, बोर्डों और बैंकों सहित कई प्रमुख सार्वजनिक संस्थानों का प्रतिनिधित्व करने का अवसर दिया है. साल 2000 में मात्र 38 वर्ष की आयु में वो हरियाणा के सबसे युवा महाधिवक्ता बने. एक ऐसी उपलब्धि, जिसने उन्हें राज्य की सबसे प्रमुख कानूनी हस्तियों में से एक बना दिया. अगले वर्ष उन्हें वरिष्ठ अधिवक्ता का दर्जा दिया गया.

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