ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान के ड्रोन अटैक के बाद अब भारतीय सेना ने सभी इन्फैंट्री बटालियन में एक खास ड्रोन प्लाटून बनाकर खड़ी कर दी है. शुक्रवार (24 अक्टूबर, 2025) को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी में सेना ने अपनी इस खास ‘अश्नि’ (अशनी) प्लाटून को दुनिया के सामने पेश किया है.
पौराणिक इतिहास में ‘अश्नि’ को देवराज इंद्र का हथियार माना जाता है, जिसे बज्र के नाम से भी जाना जाता है. भारतीय सेना की अश्नि प्लाटून में 20 सैनिक हैं, जिन्हें एफपीवी से लेकर सर्विलांस ड्रोन और स्वार्म ड्रोन सहित लोएटरिंग म्युनिशन में ट्रेनिंग दी गई है.
हैंड ग्रेनेड तक ले जाने में सक्षम
रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान एफपीवी यानी ‘फर्स्ट पर्सन व्यू’ ड्रोन का जमकर इस्तेमाल किया गया था. ये ड्रोन सर्विलांस के साथ ही हैंड ग्रेनेड तक ले जाने में सक्षम हैं. स्वार्म ड्रोन, कई छोटे ड्रोन का एक झुंड है, जो दुश्मन के सैनिकों के दल सहित टैंक या फिर गाड़ियों के काफिले पर हमला बोल सकता है. लोएटरिंग म्युनिशन में ड्रोन को हाई एक्सप्लोसिव बम से लैस किया जाता है. ये कामकाजी ड्रोन की तरह अपने लक्ष्य पर जाकर तबाह हो जाता है और दुश्मन को जबरदस्त नुकसान पहुंचाता है.
पाकिस्तान के ड्रोन अटैक को भारत ने किया विफल
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान, पाकिस्तान ने सियाचिन से लेकर लेह-लद्दाख और पंजाब से लेकर राजस्थान और रण ऑफ कच्छ (गुजरात) तक ड्रोन से हमला किया था. सेना ने हालांकि, पाकिस्तान के ड्रोन अटैक को पूरी तरह विफल कर दिया था, लेकिन इसके बाद ही सेना ने हर इन्फेंट्री बटालियन में एक ड्रोन प्लाटून खड़ा करने का प्लान तैयार किया.
इसी साल कारगिल विजय दिवस (26 जुलाई) के मौके पर थलसेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने अश्नि ड्रोन प्लाटून और भैरव कमांडो बटालियन बनाने का ऐलान किया था. महज तीन महीने में सेना ने हर इन्फैंट्री बटालियन में एक अश्नि ड्रोन प्लाटून खड़ी कर दी है. करीब 13 लाख सैनिकों वाली थलसेना में 380 इन्फैंट्री बटालियन हैं.

भैरव और अश्नि प्लाटून तैयार
हाल ही में सेना की पूर्वी कमान और पश्चिमी कमान ने खास ड्रोन एक्सरसाइज को आयोजित कर ड्रोन क्षमताओं का प्रर्दशन किया था. निकट भविष्य में सेना के हर सैनिक को ड्रोन ऑपरेशन की ट्रेनिंग दी जाएगी, ताकि जंग के मैदान में ड्रोन का सामना कर सके. आर्मी में टेक्नोलॉजी ट्रांसफॉर्मेशन के तहत, भैरव और अश्नि प्लाटून को खड़ा किया जा रहा है.
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