सुप्रीम कोर्ट करोड़ों रुपये के सारदा चिटफंड घोटाला मामले में पश्चिम बंगाल कैडर के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी राजीव कुमार को दी गई अग्रिम जमानत को चुनौती देने वाली केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) की याचिका पर इस सप्ताह 17 अक्टूबर को सुनवाई करेगा.
मुख्य न्यायाधीश भूषण रामकृष्ण गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की बेंच ने सोमवार (13 अक्टूबर, 2025) को सीबीआई की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की दलीलों पर गौर किया और मामले की अगली सुनवाई 17 अक्टूबर (शुक्रवार) के लिए निर्धारित की. सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि जांच एजेंसी की याचिका को अन्य लंबित याचिकाओं के साथ सूचीबद्ध किया जाए, जिसमें इससे संबंधित एक अवमानना याचिका भी शामिल है.
बेंच ने सीबीआई की याचिका को अन्य लंबित मामलों के साथ शुक्रवार के लिए सूचीबद्ध कर दिया. वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी को एक अक्टूबर, 2019 को अग्रिम जमानत दी गई थी और उनके वकील के अनुसार, सीबीआई ने पिछले छह वर्षों के दौरान उन्हें एक बार भी जांच के लिए नहीं बुलाया है. मुख्य न्यायाधीश ने कहा, ‘हमें इस मामले को लंबित क्यों रखना चाहिए? आपने इतने सालों में कुछ भी नहीं किया.’
सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि इस मामले में एक वरिष्ठ सीबीआई अधिकारी के आवास को ‘गुंडों ने घेर लिया’ और उन्हें कोलकाता में अपने परिवार के सदस्यों की सलामती सुनिश्चित करने के लिए वास्तव में मदद की गुहार लगानी पड़ी. एसजी तुषार मेहता ने अनुरोध किया कि दीवाली की छुट्टियों के बाद अन्य याचिकाओं पर भी एक साथ सुनवाई की जाए.
जनवरी 2019 में, केंद्र और पश्चिम बंगाल सरकार के बीच तब एक अभूतपूर्व गतिरोध उत्पन्न हो गया था, जब सीबीआई की एक टीम कुमार से पूछताछ करने के लिए उनके आधिकारिक आवास पर पहुंच गई थी, लेकिन स्थानीय पुलिस द्वारा एजेंसी के अधिकारियों को हिरासत में लिए जाने के कारण उन्हें वापस होना पड़ा था. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कुमार के बचाव में आगे आईं और केंद्र के कदम के खिलाफ धरना शुरू कर दिया.
सुप्रीम कोर्ट ने 29 नवंबर, 2019 को मामले में राजीव कुमार को दी गई अग्रिम जमानत को चुनौती देने वाली सीबीआई की अपील पर उनसे जवाब मांगा था. नोटिस जारी करते हुए, बेंच ने कहा कि जांच एजेंसी को यह समझाना होगा कि कोलकाता के पूर्व पुलिस आयुक्त की हिरासत की आवश्यकता क्यों थी.
आईपीएस अधिकारी बाद में राज्य के डीजीपी बने. शारदा समूह की कंपनियों ने लाखों लोगों को उनके निवेश पर अधिक रिटर्न का वादा करके कथित तौर पर 2,500 करोड़ रुपये की ठगी की. साल 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने अन्य चिटफंड मामलों के साथ इस मामले को सीबीआई को सौंप दिया था. उससे पहले कुमार पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा घोटाले की जांच के लिए गठित विशेष जांच दल (SIT) का हिस्सा थे.
सारदा चिटफंड घोटाले का पर्दाफाश 2013 में कुमार के बिधाननगर पुलिस आयुक्त के कार्यकाल के दौरान हुआ था. सुप्रीम कोर्ट राजीव कुमार को अग्रिम जमानत देने के कलकत्ता हाईकोर्ट के एक अक्टूबर, 2019 के आदेश के खिलाफ सीबीआई की याचिका पर सुनवाई कर रहा था. अदालत ने कहा था कि यह हिरासत में पूछताछ के लिए उपयुक्त मामला नहीं है.
सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि कुमार को गिरफ्तार करना और मामले में उनसे हिरासत में पूछताछ जरूरी है. हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि अगर राजीव कुमार को सीबीआई इस मामले के सिलसिले में गिरफ्तार करती है, तो उन्हें 50,000 रुपये की दो जमानतों पर किसी उपयुक्त अदालत द्वारा तुरंत जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए.
हाईकोर्ट ने कुमार को जांच अधिकारियों के साथ सहयोग करने का निर्देश दिया था. साथ ही, उन्हें सीबीआई द्वारा 48 घंटे पहले दिए गए नोटिस पर पूछताछ के लिए मामले के जांच अधिकारियों के समक्ष उपस्थित होने का भी निर्देश दिया था.


