लद्दाख में हुई हिंसा के बाद से जेल में बंद क्लाइमेट एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक की पत्नी गीतांजलि आंगमो ने बुधवार (01 अक्टूबर, 2025) को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को खत लिखकर न्याय की गुहार लगाई है. गीतांजलि ने अपनी इस चिट्ठी की प्रतियां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को भी भेजी हैं.
उन्होंने पत्र में सोनम वांगचुक की बिना शर्त रिहाई की मांग करते हुए उन पर लगाए गए आरोपों को सिरे से खारिज किया है. वांगचुक की पत्नी ने कहा कि 26 सितंबर को लेह इंस्पेक्टर रिग्जिन गुरमेत ने उन्हें सूचना दी कि वांगचुक को NSA की धारा 3 (2) के तहत हिरासत में लिया गया है और उन्हें जोधपुर सेंट्रल जेल भेजा गया है.
लद्दाख अपने राष्ट्रवाद और भारतीय सेना के प्रति वफादार
उन्होंने लेटर में लिखा, ‘मुझे आश्वासन दिया गया कि जोधपुर पहुंचने के बाद, वह मुझे फोन करेंगे और मेरे पति से बात कराएंगे. उन्होंने मुझे यह भी बताया कि यह गिरफ्तारी नहीं है, क्योंकि कोई FIR दर्ज नहीं हुई है, बल्कि वे NSA के तहत हिरासत में हैं.’
गीतांजलि आंगमो ने कहा कि हालांकि आज तक उनकी सोनम वांगचुक से कोई बात नहीं कराई गई है. वांगचुक की पत्नी ने आगे कहा कि लद्दाख अपने राष्ट्रवाद और भारतीय सेना के प्रति वफादारी के लिए जाना जाता है. उन्होंने आगे कहा कि वांगचुक इस क्षेत्र में भारतीय सेना के लिए आश्रय बना रहे हैं.
पत्नी गीतांजलि का सरकार से सवाल
आंगमो ने लिखा, ‘मेरे पति सोनम वांगचुक हमेशा भारत की एकजुटता, हमारी सीमाओं को मजबूत करने और एक मजबूत लोकतांत्रिक व्यवस्था के पक्षधर रहे हैं.’ उन्होंने सवाल उठाए कि क्या लद्दाख में लोगों के हितों के लिए लड़ाई लड़ना अपराध है. वांगचुक की पत्नी ने कहा, ‘महामहिम, आप एक आदिवासी पृष्ठभूमि से होने के नाते, लेह लद्दाख के लोगों की भावनाओं को किसी और से बेहतर समझेंगी.’
इस दौरान गीतांजलि आंगमो ने राष्ट्रपति मुर्मू से चार सवाल भी पूछे हैं. उन्होंने पूछा है कि क्या उन्हें वांगचुक से फोन पर और व्यक्तिगत रूप से मिलने और बात करने का अधिकार है, क्या वह अपने पति की सहायता कर सकती हैं, उनकी गिरफ्तारी के कारणों और उनके कानूनी अधिकारों के बारे में जान सकती हैं, क्या वह अपने पति की स्थिति जान सकती हैं और क्या भारत के जिम्मेदार नागरिक होने के नाते उन्हें शांतिपूर्ण अभिव्यक्ति और आवागमन की आजादी का हक है.
सोनम वांगचुक की रिहाई की मांग
आंगमो ने सरकार और एजेंसियों की ओर से किए गए व्यवहार की भी निंदा की. उन्होंने लिखा, ‘यह भारत के संविधान की भावना का उल्लंघन है. अनुच्छेद 21 और 22 हर नागरिक को कानूनी प्रतिनिधित्व का मौलिक अधिकार प्रदान करते हैं. हैरानी की बात है कि हमें इस न्यूनतम अधिकार से भी पूरी तरह वंचित कर दिया गया है.’
वांगचुक की पत्नी ने आगे कहा, ‘महामहिम, हम अपील करते हैं कि राष्ट्राध्यक्ष के रूप में आप हस्तक्षेप करें और इस अराजक स्थिति में विवेक की आवाज उठाएं. भारत के राष्ट्रपति के रूप में, आप समता, न्याय और विवेक के सिद्धांतों के प्रतीक हैं.’ उन्होंने सोनम वांगचुक की बिना शर्त रिहाई की मांग करते हुए कहा कि वे अपने राष्ट्र के लिए कभी खतरा नहीं बन सकते.
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