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बीकानेर में ED की छापेमारी में बड़ा खुलासा, धार्मिक ट्रस्ट के जरिए कन्वर्जन का पर्दाफाश
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बीकानेर में ED की छापेमारी में बड़ा खुलासा, धार्मिक ट्रस्ट के जरिए कन्वर्जन का पर्दाफाश

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ED ने 17 सितंबर 2025 को बीकानेर में चार जगहों पर छापेमारी की. ये छापेमारी मोहम्मद सादिक खान और उनके करीबी सहयोगियों के ठिकानों पर की गई. मामला मनी लॉन्ड्रिंग और हवाला से जुड़ा है और इस मामले की जांच PMLA के तहत चल रही है.

ED की जांच 3 जनवरी 2022 को बीकानेर के कोटगेट थाने में दर्ज FIR और खुफिया इनपुट पर शुरू हुई थी. इसमें IPC और Arms Act की धाराओं के तहत केस दर्ज था. जानकारी के मुताबिक, मोहम्मद सादिक जो बीकानेर में जमीयत अहले हदीस का प्रमुख है, हवाला कारोबार, मनी लॉन्ड्रिंग और गैर-कानूनी धार्मिक कन्वर्जन जैसी गतिविधियों में शामिल पाया गया.

ट्रस्ट और बैंक खातों के जरिए करोड़ों का लेन-देन

छापेमारी में सामने आया कि सादिक अलफुरकान एजुकेशनल ट्रस्ट का प्रेसिडेंट था और मस्जिद-ए-आयशा ट्रस्ट का संचालन भी उसके हाथ में था. इन ट्रस्टों के बैंक खातों में भारी कैश जमा किया गया था. जांच में करीब 20 बैंक अकाउंट्स सामने आए, जिन्हें सादिक सीधे कंट्रोल करता था. इन खातों में करोड़ों रुपये का लेन-देन हुआ, लेकिन पैसों का असली सोर्स साफ नहीं हो पाया.

ED को जांच के दौरान पता चला कि मोहम्मद सादिक की कोई वैध और बड़ी पर्सनल इनकम नहीं थी. फिर भी पिछले कुछ सालों में उसने कई बार विदेश यात्राएं की. वो बांग्लादेश, ईरान, ओमान, नेपाल और कतर जैसे देशों में लंबे समय तक रुका. सर्च के दौरान ऐसे सबूत भी मिले हैं, जिनसे साफ हुआ कि उसने बांग्लादेश की एक NGO को फाइनेंशियल मदद दी थी.

गैर-कानूनी कामों के लिए फंड जुटाने की साजिश

जांच के दौरान मिले डिजिटल सबूतों से ये भी सामने आया कि सादिक सोशल मीडिया पर उकसाने वाला कंटेंट और कट्टरपंथी वीडियो शेयर करता था. इसमें इजरायल का झंडा जलाने जैसे वीडियो भी शामिल है, जिनका इस्तेमाल लोगों की सहानुभूति बटोरने और गैर-कानूनी कामों के लिए फंड जुटाने में किया गया. इसके अलावा उसके ऊपर हथियारों की अवैध सप्लाई और जबरन धार्मिक कन्वर्जन कराने के भी आरोप हैं.

ED का कहना है कि अब तक मिली जानकारी से ये साफ है कि मोहम्मद सादिक और उसके नेटवर्क की गतिविधियां सीधे तौर पर देश की आंतरिक सुरक्षा और सामाजिक माहौल के लिए बड़ा खतरा है. इस पूरे नेटवर्क के जरिए विदेशों से फंडिंग, हवाला, कट्टरपंथी प्रचार, धार्मिक ट्रस्ट का गलत इस्तेमाल और संदिग्ध एनजीओ को फाइनेंशियल मदद जैसी चीजें चल रही थी. ED की जांच जारी है और आने वाले दिनों में और खुलासे होने की उम्मीद है.

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