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चीन की सीमा के पास गरजेंगे राफेल और सुखोई-30, ऑपरेशन सिंदूर के बाद पहली बार IAF का सबसे बड़ा यु
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चीन की सीमा के पास गरजेंगे राफेल और सुखोई-30, ऑपरेशन सिंदूर के बाद पहली बार IAF का सबसे बड़ा यु

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ऑपरेशन सिंदूर के बाद पहली बार भारतीय वायुसेना इस महीने के आखिर में सबसे लंबा युद्धाभ्यास करने जा रही है. लेकिन ये युद्धाभ्यास (25 सितंबर-16 अक्टूबर) उत्तर-पूर्व के राज्यों की एयर स्पेस में किया जाएगा, जो चीन, भूटान, म्यांमार और बांग्लादेश से सटी है. इस एक्सरसाइज को उत्तरी बंगाल (सिलीगुड़ी कॉरिडोर), सिक्किम, असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मिजोरम और नागालैंड में आयोजित किया जाएगा.

चीन की सीमा के पास गरजेंगे राफेल और सुखोई-30

21 दिन तक चलने वाले एक्सरसाइज को लेकर वायुसेना ने नोटिस टू एयरमैन (नोटम) जारी कर दिया है ताकि इस दौरान सभी सिविल फ्लाइट्स सावधानी-पूर्वक उड़ान भर सकें. एक्सरसाइज को कराने की जिम्मेदारी वायुसेना की पूर्वी कमान (मुख्यालय शिलॉन्ग) के कंधों पर है और उत्तर-पूर्व के सभी महत्वपूर्ण एयरबेस (तेजपुर, झाबुआ, हासीमारा इत्यादि) सहित फाइटर जेट, मिलिट्री ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट और हेलीकॉप्टर हिस्सा लेंगे.

चीन-नेपाल ट्राई जंक्शन पर भी होगा युद्धाभ्यास 

इस महीने के आखिर में ये दूसरी बड़ी एक्सरसाइज है. दो दिन पहले ही एबीपी न्यूज ने बताया था कि चीन-नेपाल ट्राई जंक्शन पर भी भारतीय वायुसेना एक बड़ा युद्धाभ्यास करने जा रही है. इसी ट्राई जंक्शन पर भारत का लिपुलेख और काला पानी इलाका है जिसे नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने विवादित बताते हुए नेपाल के मैप में दिखा दिया था.

22 से 30 सितंबर तक उत्तराखंड में होने जा रहे है इस अभ्यास के बारे में वायुसेना ने कोई आधिकारिक जानकारी सार्वजनिक रूप से साझा नहीं की है, लेकिन हाल ही में इसी तरह के अभ्यासों को देखते हुए, इसमें लड़ाकू विमानों की भागीदारी, उन्नत उड़ान संचालन और सैन्य तैयारियों का आकलन शामिल हो सकता है.

माना जा रहा है कि वायुसेना की मध्य कमान, बरेली एयरबेस से इस युद्धाभ्यास को संचालित करेगी. इस युद्धाभ्यास से पहले नोटम (नोटिस टू एयरमैन) जारी किया गया है. नोटम का उद्देश्य नागरिक यात्रा को सुरक्षित बनाना होता है, यानी ये एक ऐसा नोटिस है, जिसके जरिए उन एयरस्पेस को पायलट नहीं इस्तेमाल करते हैं, जहां पर युद्धाभ्यास चल रहा होता है.

नेपाल में शांति भारत के लिए काफी अहम

नेपाल में चीन के सबसे पसंदीदा चेहरे (पूर्व पीएम) केपी शर्मा ओली अब सत्ता में नहीं हैं, लेकिन भारत के साथ रिश्ते बिगाड़ने में ओली ने कोई कसर नहीं छोड़ी थी. ओली के सत्ता में रहते हुए नेपाल ने विवादित नक्शा जारी किया, जिसमें भारत के लिपुलेख को नेपाल का बताया गया था. काठमांडू ने अपनी नई करेंसी नोट पर नेपाल का जो नया नक्शा दिखाया उसमें विवादित कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा को नेपाली सीमा में दिखाया.

नेपाल में इस सप्ताह Gen-Z के विद्रोह के कारण पीएम केपी शर्मा ओली को इस्तीफा देना पड़ा था और सेना की मदद से पूर्व चीफ जस्टिस सुशीला कार्की को अंतरिम सरकार का प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया था. पड़ोसी देश होने के कारण नेपाल में शांति और व्यवस्था भारत के लिए भी बेहद अहम है, क्योंकि नेपाल की अशांति का फायदा पाकिस्तान जैसा देश उठा सकता है. ऐसे में वायुसेना अपने अभ्यास के जरिए अपनी तैयारियों की समीक्षा करेगी.

ये भी पढ़ें : ‘ऑपरेशन सिंदूर खत्म नहीं हुआ तो भारत-पाकिस्तान का मैच क्यों?’, पहलगाम हमले की पीड़िता का पीएम मोदी से सवाल



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