11 अगस्त को Supreme Court ने दिल्ली-एनसीआर के नगर निकायों को निर्देश दिया कि वे शहरों की सड़कों से आवारा कुत्तों को तुरंत पकड़ें, उनकी नसबंदी करें और उन्हें स्थायी रूप से शेल्टर होम में रखें। इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए कोर्ट ने केवल 8 हफ्तों का समय निर्धारित किया है। कोर्ट का कहना है कि ये कुत्ते सड़कों पर वापस नहीं लौटने चाहिए।
हालांकि, इस आदेश के बाद कई बड़े सेलेब्स ने इसका विरोध किया है। खासकर जान्हवी कपूर और मलाइका अरोड़ा जैसे सितारों ने सोशल मीडिया के जरिए अपनी भावनाएं जाहिर कीं और इस फैसले को न केवल क्रूर बताया बल्कि आवारा कुत्तों के प्रति मानवता का सवाल भी उठाया।
जान्हवी कपूर का दिल छू लेने वाला पोस्ट: “वे खतरा नहीं, धड़कन हैं”
जान्हवी कपूर ने अपने आधिकारिक इंस्टाग्राम स्टोरी में लिखा,
“वे इसे खतरा कहते हैं, हम इसे धड़कन कहते हैं।”
उन्होंने बेहद संवेदनशील तरीके से बताया कि ये आवारा कुत्ते केवल जानवर नहीं बल्कि हमारे आसपास के समाज का हिस्सा हैं। ये वही दोस्त हैं जो चाय के ठेले के बाहर बिस्किट का इंतजार करते हैं, दुकानदारों के चुपचाप खड़े रात्रि-प्रहरी हैं, बच्चों के लौटने पर खुशी से पूंछ हिलाते हैं।
जान्हवी ने साफ तौर पर कहा कि समस्याएं हैं जैसे काटने के मामले, सुरक्षा की चिंताएं, लेकिन पूरे जानवरों के समुदाय को पिंजरे में बंद करना कोई हल नहीं। उनका मानना है कि नसबंदी, टीकाकरण अभियान, सामुदायिक भोजन स्थल और गोद लेने के अभियान सच्चे समाधान हैं। उन्होंने कहा,
“सजा नहीं, कैद नहीं।”
जान्हवी ने समाज के उन हिस्सों की याद दिलाई जो बेआवाज हैं और जिनकी रक्षा करना हमारी जिम्मेदारी है। उन्होंने लोगों से अपील की कि अपनी आवाज उठाएं क्योंकि आवारा कुत्तों के पास खुद अपनी आवाज नहीं है।
मलाइका अरोड़ा ने भी दिया समर्थन, अपनाया एडॉप्टेड कुत्ता
सेलेब मलाइका अरोड़ा ने भी इस मुद्दे पर अपनी राय दी और अभिनेत्री सोफी चौधरी की पोस्ट को रीपोस्ट करते हुए सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कड़ा विरोध जताया। मलाइका ने बताया कि उनका पालतू कुत्ता कैस्पर एडॉप्टेड है और यह उनके लिए सबसे अच्छा तोहफा है।
मलाइका की पोस्ट ने भी सोशल मीडिया पर जोरदार प्रतिक्रिया पैदा की, जिससे यह साफ हो गया कि बॉलीवुड की कई हस्तियां आवारा कुत्तों के प्रति सहानुभूति रखती हैं और उनकी सुरक्षा के लिए आवाज़ उठाना चाहती हैं।
क्या है सुप्रीम कोर्ट का आदेश?
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर के सभी आवारा कुत्तों को सड़कों से 8 हफ्ते के भीतर हटाने और उन्हें विशेष शेल्टर होम में रखने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने साफ किया है कि ये कुत्ते वापस सड़क पर नहीं आने चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट की बेंच जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की अगुवाई में यह मामला आवारा कुत्तों के हमले के मामलों पर खुद नोटिस लेकर सुनवाई कर रही है।
साथ ही कोर्ट ने चेतावनी दी है कि अगर कोई व्यक्ति या संगठन इस काम में बाधा डालेगा तो उसके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी। कोर्ट ने पशु प्रेमियों को भी आड़े हाथों लिया और पूछा कि क्या वे रेबीज से संक्रमित बच्चों को वापस ला पाएंगे?
कोर्ट का फोकस साफ है — बच्चों की सुरक्षा सर्वोपरि है और किसी भी कीमत पर रेबीज के मामले को रोकना होगा।
राजस्थान हाई कोर्ट ने भी जारी किया आवारा कुत्तों को हटाने का आदेश
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राजस्थान हाई कोर्ट ने भी शहरी क्षेत्रों से आवारा कुत्तों और अन्य पशुओं को हटाने का आदेश जारी किया है। यह कदम भी कई जानवर प्रेमियों के बीच विवाद का विषय बना हुआ है।
आवारा कुत्तों के मुद्दे पर बढ़ती संवेदनशीलता और चुनौतियां
आवारा कुत्तों का मामला लंबे समय से शहरी क्षेत्रों में चर्चा का विषय रहा है। एक तरफ ये जानवर समाज का हिस्सा हैं और उनके प्रति सहानुभूति जगाने वाले लोग हैं, वहीं दूसरी ओर इनके काटने के मामले, रेबीज जैसी बीमारियों और सार्वजनिक सुरक्षा की चिंताएं भी गंभीर हैं।
सरकार, नगर निकाय और एनजीओ के स्तर पर नसबंदी, टीकाकरण, एडॉप्शन और सामुदायिक जागरूकता के अभियान चलाए जा रहे हैं। लेकिन सुप्रीम कोर्ट का आदेश एक सख्त रुख लेकर इस मुद्दे को एक नए मोड़ पर ले आया है।
सेलेब्स का विरोध दर्शाता है कि जनता के बीच भी इस समस्या को लेकर गहरी संवेदनशीलता और विचारधारा का फर्क मौजूद है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश और सेलेब्स के विरोध ने आवारा कुत्तों के मुद्दे को फिर से राष्ट्रीय चर्चा में ला दिया है। जहां एक ओर बच्चों की सुरक्षा सर्वोपरि है, वहीं दूसरी ओर पशु प्रेमियों की भावनाएं भी महत्वपूर्ण हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि दिल्ली-एनसीआर के नगर निकाय और प्रशासन इस आदेश को कैसे लागू करते हैं और क्या उनका समाधान सभी के लिए स्वीकार्य होगा।


